बेगमगंज। विश्व एड्स दिवस पर सिविल अस्पताल द्वारा उप जेल में वरिष्ठ सर्जन विजयलक्ष्मी नागवंशी लैब टेक्नीशियन श्वेता तिवारी और प्रीतम सिंह ठाकुर के द्वारा शिविर आयोजित कर उप जेल में निरुद्ध 84 बंदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाकर एड्स के बारे में जानकारी दी गई।
विश्व एड्स दिवस पर आयोजित स्वास्थ्य शिविर |
इस अवसर पर उपस्थित तहसील विधिक सेवा समिति अध्यक्ष केएस शाक्य के मार्गदर्शन में उपस्थित न्यायधीश असलम देहलवी ने उपस्थित बंदियो एवं उप जेल स्टाफ के समक्ष एड्स को लेकर बताया कि प्रत्येक वर्ष विश्व एड्स दिवस के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं। जिसके लिए प्रत्येक वर्ष अलग-अलग विषय होते हैं। एड्स दिवस का आयोजन विश्व भर में इसके प्रति जागरूकता लाने, चुनौतियों का सामना करने एवं इसकी रोकथाम के विभिन्न उपायों के लिए एक विशेष थीम के तहत किया जाता है। वर्ष 2021 में इसकी थीम थी ‘असमानताओं को समाप्त करना एवं एड्स का खात्मा करना’। इस वर्ष इसकी थीम है बराबरी। इसका स्लोगन है कॉल टू एक्शन, इसकी थीम का उद्देश्य है एचआईवी से जुड़े सभी परीक्षणों, जानकारी एवं जागरूकता को बढ़ाना। एड्स से संक्रमित लोगों एवं स्वस्थ लोगों के बीच असमानता के दायरे को खत्म करना।
श्री देहलवी ने बताया कि दुनिया भर में एचआईवी संक्रमित लोगों के साथ एकजुटता दिखाने का अवसर है, अधिकांश लोग इस दिन जागरूकता के लिए लाल रिबन पहनते हैं। उन्होंने एड्स पीड़ितों को कानून में दिए अधिकारों के बारे में भी जानकारी दी।
वरिष्ठ सर्जन विजयलक्ष्मी नागवंशी
एचआईवी वायरस मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है और उसे कमज़ोर बनाता है। एचआईवी वायरस शरीर में अन्य बीमारियों से लड़ने के लिए उपलब्ध श्वेत रक्त कोशिकाओं पर हमला करता है। यह श्वेत रक्त कोशिकाओं के सीडी 4 नामक टी सेल्स पर हमला करता है और अपनी संख्या लगातार बढ़ाता जाता है। इस तरह एचआईवी संक्रमित व्यक्ति की सीडी 4 कोशिकाएं घटने लगती हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति में सीडी 4 कोशिकाओं की संख्या पांच सो से सोलह सो के बीच होती है वहीं एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के भीतर इसकी संख्या दो सो से भी नीचे पाई जा सकती है। इसके संपर्क में आने के बाद व्यक्ति बीमारियों एवं संक्रमणों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है एवं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काम करना बंद कर देती है।
कोई भी व्यक्ति एचआईवी वायरस से कई असावधानियों से संक्रमित हो सकता है। इसके लक्षणों के सामने आने में 8 से 10 वर्ष का समय भी लग सकता है। इसके शुरुआती दिनों में कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं। इसके लक्षणों में जो सर्व प्रमुख हैं उनमें
लंबे समय तक बुखार बना रहना या बार बार आना, अत्यधिक थकान महसूस होना, शरीर में दर्द रहना, अत्यधिक पसीना आना, सूखी खांसी का आना, गले मे खराश रहना, त्वचा पर चिकत्ते आना, त्वचा का अत्यंत संवेदनशील होना, बार बार दस्त लगना, खराब पेट रहना, गले की नली, मुंह अथवा गुप्तांग में घाव रहना, लिम्फ नोड्स में सूजन रहना,वजन घटना आदि। विश्व एड्स दिवस पर आयोजित शिविर में उप जेल में निरुद्ध 84 बंदियों का ब्लड प्रेशर, वजन, टेंपरेचर सहित रक्त आदि की जांच की गई। सभी बंदी स्वस्थ पाए गए। इस अवसर पर जेलर कमल किशोर कोरी, फार्मासिस्ट शिव कुमार दुबे, जेल प्रहरी अजय राज, सुधीर साहू, सेवाराम मार्गो, दीपक शर्मा सहित जेल स्टाफ मौजूद था।