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भाषाओं को रोजीरोटी से जोड़ना चाहिए- डॉ. सरोज

बेगमगंज। पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय महाविद्यालय  में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : हिन्दी का स्वरूप और संभावनाऍं' विषय पर राष्ट्रीय ई संगोष्ठी का आयोजन  गूगल मीट के माध्यम से  प्राचार्य,  कल्पना जांभुलकर के निर्देशन  एवं रूसा  वर्ल्ड बैंक प्रभारी  राकेश सिंह कनेल के संयोजन से किया गया। 

राष्ट्रीय  संगोष्ठी

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. सरोज गुप्ता, अध्यक्ष हिन्दी विभाग, पं. दीनदयाल उपाध्याय शासकीय कला एवं वाणिज्य 'अग्रणी' महाविद्यालय सागर ने कहा कि हिंदी भाषा के विशेषज्ञों का मानना है कि हिंदी का आने वाला समय निश्चित की स्वर्णिम है। यह वैश्विक स्तर पर तेजी से पांव पसार रही है। विदेश के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां हिंदी माध्यम से पढ़े लोगों को भी नौकरी के अवसर दे रही हैं। हिंदी को सीखने, बोलने और पढ़ने के लिए लोगों का रुझान बढ़ रहा है। आज जरूरत है कि भाषाओं को रोजीरोटी से जोड़ना चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. दीपक पाण्डेय, सहायक निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार ने कहा कि त्रिभाषा फार्मूला से हिन्दी को महत्त्व मिलेगा। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार को परिष्कृत किया जाता है। शिक्षा द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है।

गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इस नीति द्वारा देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। कार्यक्रम का आयोजन एवं संचालन  दीपक कुमार अहिरवार, सहायक प्राध्यापक हिन्दी ने किया एवं डॉ. राजा चौहान, अतिथि विद्वान, भौतिक शास्त्र ने आभार व्यक्त किया।


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