बेगमगंज। यदि आपका बच्चा अपने आप में ही मग्न रहता । और दूसरों से कोई मतलब नहीं रखता तो इसे आप नजर अंदाज न करें कुछ दिन उसे गंभीरता से ऑब्जर्व करें । हो सकता है बच्चा डिस आर्डर का शिकार हो यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या है। इन कुछ सालों में बच्चे इसका शिकार होने लगे है। जरूरी नहीं कि वह अंतर्मुखी हो उसके व्यवहार पर गौर करें आपको इसे इलाज के बारे में पहल करना चाहिए।
डॉक्टर जीशान |
उक्त उदगार सामाजिक संस्था आईएमसी के द्वारा आयोजित कार्यशाला में भोपाल से आए डा. जीशान ने व्यक्त किए। उन्होने बताया कि | आपका बच्चा अगर अपने बेडरूम और स्टडीरूम में अधिक समय बिता रहा है। और लोगों से मिलने जुलने से दूर भागता है। तो उसे अवॉइडेंट पर्सनेलिटी डिस आर्डर हो सकता है। इस डिसआर्डर के कारण बच्चे लगातार अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों और सहपाठियों से बचते है। अक्सर लोग इसे बच्चे का अंतर्मुखी होना समझते है। लेकिन ऐसा न हो कि आप अपने बच्चे को लेकर सोचते रहें और उसमें अवॉइडेट पर्सलेलिटी डिसआर्डर बढ़ता चला जाए नगर के करीब एक दर्जन बच्चे इसका शिकार हो चुके है और भोपाल के मेंटली अस्पताल में उपचार करा रहे हैं।
उन्होने आगे बताया कि हमें अपने बच्चों के स्वभाव पर हमेशा नजर रखना चाहिए ताकि जरूरत पर उपचार हो सके। यह पुरूषों और महिलाओं को समान रूप से प्रभावित करता है। पर अब ये बच्चों में मोबाइल के अधिक उपयोग से तेजी से फैल रहा है। जो बड़े होने के साथ तेजी से बढ़ता ही जाता है। 18 साल से कम आयु के बच्चों को ये बीमारी अब गंभीर रूप ले रही है।
डा. सैयद जुबैर अली ने बताया कि बचपन से अकेले रहना या मां बाप का उन पर कम ध्यान देना भी बच्चों को इस डिसआर्डर का शिकार बनाता है। वे आलोचनात्मक या अस्वीकृति से आसानी से आहत होते है। ऐसे बच्चे करीब दोस्त और कुछ परिवार वालों के अलावा सबसे अलग होकर रहते हैं। नए लोगों व रिश्तेदारों से मिलने में घबराते है। सामाजिक मेल जोल में भय का अनुभव करते है। सामाजिक मेलजोल में शर्माते है और कुछ नया करने के मौके हाथ से जाने देते है। ऐसे बच्चों के लिए संज्ञानात्मक व्यवहार थैरेपी एक विकल्प है दूसरा साइकोडायनामिक थेरेपी के जरिए भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है।