बेगमगंज। मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार केएस शाक्य अध्यक्ष तहसील विधिक सेवा समिति व द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में अभिभाषक कक्ष के सभागार में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा एवं भेदभाव को समाप्त किए जाने के उद्देश्य से महिलाओं के समग्र विकास जैसे महिला सशक्तिकरण, महिला सुरक्षा, महिला हिंसा, महिलाओं के स्वास्थ्य एवं पोषण, आर्थिक विकास, कौशल उन्नयन, डिजिटल साक्षरता आदि विषयों पर विधिक जागरूकता एवं साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
महिलाओं के प्रति हिंसा पर साक्षरता शिविर |
श्री शाक्य द्वारा शिविर अंतर्गत उपस्थित महिलाओं को जागरूक करते हुए महिलाओं के अधिकार एवं महिला कानूनों के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि भारत का संविधान महिलाओं को समानता का दर्जा प्रदान करता है, यह महिलाओं को गरिमा प्रदान करता है । महिला अपराधों की बढ़ती हुई संख्याओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा महिलाओं के लिए कई कानून बनाए गए हैं साथ ही महिलाओं को कुछ विशेष अधिकार भी प्रदान किए गए हैं जैसे दहेज प्रतिषेध अधिनियम, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न, दहेज मृत्यु या आत्महत्या का दुष्प्रेरण महिलाओं के अधिकार आदि यह कानून एवं अधिकार महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाए गए हैं। किंतु आज के समय में कुछ महिलाओं द्वारा इन अधिकारों का दुरुपयोग भी किया जा रहा है। उन्होंने महिलाओं को जागरूक करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग के संबंध में भी जानकारी दी तथा बताया गया कि राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम के अंतर्गत महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित रखा गया है। इसका मुख्य कार्य महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देने से संबंधित है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य भारत में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करना और उनके मुद्दों के लिए एक आवाज प्रदान करना है ।
शिविर अंतर्गत श्री शाक्य ने महिलाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने निजी व सरकारी स्कूल मैं पढ़ाना, अपनी क्षमता अनुसार बच्चों को खासकर लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने हेतु प्रेरित किया ।
विवेक शिवहरे प्रथम जिला एवं सत्र न्यायधीश द्वारा महिलाओं को महिला सशक्तिकरण के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य उन्हें पुरुषों के साथ समाज में समान रूप से खड़े होने में मदद करना है ।महिलाओं को उनके मूल अधिकार प्राप्त है । महिला सशक्तिकरण मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संदर्भित करता है ताकि वे अपने निर्णय ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन को संभाल सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। महिलाओं को सशक्त बनाने से, दुनिया निश्चित रूप से लैंगिक समानता का गवाह बनेगी और समाज के हर तबके की महिलाओं को अपने दम पर खड़े होने और अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन चलाने में मदद करेगी।
एजीपी बद्री विशाल गुप्ता ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करते हुए शिक्षा के अधिकार के संबंध में जानकारी दी साथ ही आज के युग में हर क्षेत्र में महिलाओं की उन्नति एवं महिलाओं की भूमिका के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किए ।
महिला एवं बाल विकास प्रभारी परियोजना अधिकारी संगीता ठाकुर द्वारा महिलाओं को विभिन्न योजनाओं के संबंध में जागरूक किया गया तथा घरेलू हिंसा के प्रकरणों बाल विवाह आदि के संबंध में ग्रामीण महिलाओं तथा अशिक्षित महिलाओं को जानकारी देने हेतु प्रेरित किया। पीडी नेमा अधिवक्ता द्वारा शिविर अंतर्गत उपस्थित महिलाओं को मध्यस्थता प्रक्रिया तथा मध्यस्थता से होने वाले लाभ के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी । शिविर मे ओपी दुबे वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी विचार व्यक्त किए ।
शिविर अंतर्गत एम ए देहलवी न्यायिक मजिस्ट्रेट, अधिवक्ता गण आरसी दुबे, ओपी दुबे , एम एस ठाकुर, बार अध्यक्ष अरविंद श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष राजेश यादव, डी पी चौबे, आर के गुप्ता, संजीव सोनी, पीएस राजपूत, आर एन रावत, केएल चौरसिया, आरके खरे आदि अधिवक्ता गण तथा महिलाएं उपस्थित रही।