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41 जन्मदिन पर राहुल ने काटे थे तलवार से 41 केक

हाई कोर्ट ने भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन शून्य किया

कांग्रेस की टिकट पर पराजित प्रत्याशी चंदा सिंह गौर की चुनाव याचिका पर आदेश 

निर्वाचन अधिकारी द्वारा नियमों के दायरे से बाहर जाकर नामांकन मंजूर करने को लेकर की तल्ख टिप्पणी 

नामांकन पत्र में नहीं दी थी सरकार से अनुबंधित निजी ठेका कंपनी से पार्टनरशिप की जानकारी 


खरगापुर। विधायक राहुल सिंह लोधी का 41वां जन्मदिन मंगलवार को था, जिसकी खुशी में अपने 8 साल के बेटे विनायक के साथ तलवार से 41 केक काटे थे। इसके साथ ही राहुल ने सात दिवसीय रासलीला करवाई थी, जिसका समापन और खरगापुर में बनवाए गए नए आलीशान मकान में गृहप्रवेश भी था।


हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ ने टीकमगढ़ जिला अंतर्गत खरगापुर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राहुल सिंह लोधी का निर्वाचन शून्य कर दिया। आदेश की प्रति मध्य प्रदेश राज्य निवार्चन आयोग व भारत निर्वाचन आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं। निर्वाचन शून्य होने के साथ लोधी को मिल रहे विधायक संबंधी सभी लाभ रोके जाने के भी निर्देश दिए गए हैं। 

चुनाव याचिकाकर्ता 2018 में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर पराजित प्रत्याशी रहीं चंदा सिंह गौर की ओर से भाजपा विधायक का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से स्वीकार जाने के अलावा सरकार से अनुबंधित एक निजी ठेका कंपनी से पार्टनरशिप की जानकारी छिपाने का आरोप लगाया गया था। यही नहीं पूर्व में हाई कोर्ट द्वारा लोधी पर लगाए गए 10 हजार रुपये जुर्माने की राशि भी चंदा सिंह गौर को भुगतान न किए जाने का भी आरोप लगाया गया था। 

हाई कोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद अपने आदेश में निर्वाचन अधिकारी द्वारा नियमों के दायरे से बाहर जाकर नामांकन मंजूर करने को लेकर तल्ख टिप्पणी की। इस रवैये को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-134 का उललंघन निरूपित किया। 

इस तरह लगाए गए आरोप : 

चुनाव याचिकाकर्ता चंदा सिंह गौर की ओर से चुनाव याचिका में आरोप लगाया गया था कि पूर्व में जब वे विधायक निर्वाचित हुई थीं, तब लोधी ने उनके विरुद्ध चुनाव याचिका दायर की थी, जिसे 10 हजार रुपये जुर्माने सहित निरस्त किया गया था। हाई कोर्ट के निर्देश के पालन में लोधी को यह राशि गौर को देनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। चूंकि यह रवैया लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-100 के उल्लंघन की परिधि में आता है, अत: निर्वाचन निरस्त कर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा नामांकन पत्र भी दो जमा किए गए थे, जिनमें परस्पर विरोधाभासी जानकारी दी गई थी। ठेका कंपनी से पार्टनरशिप की जानकारी पूरी तरह छिपाने की गलती की गई थी।

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