बेगमगंज। महापुरुषों का सत्संग वह जल है, जिसमें कौआ भी स्नान करके हंस बनकर निकलता है। सत्संग में किसी व्यक्ति, जाति, धर्म की आलोचना नहीं की जाती है, बल्कि परमात्मा की भक्ति के प्रति प्रेम का भाव पैदा किया जाता है। सत्संग मिलने पर आदमी का जीवन ही बदल जाता है और तब मानव शरीर पाने का लक्ष्य भी समझ में आता है।
जयगुरुदेव संगत कृषि उपज मंडी |
उक्त बात कृषि उपज मंडी में आयोजित संगत में प्रदेश समिति से रमेश पटेल ने कहीं उन्होंने कहा की संत, महात्मा फकीर इसी बात को बताने के लिए आते हैं। रूहानियत से खाली लोग महापुरुषों के वचनों की व्याख्या अपने अनुसार करते हैं। इसी कारण धर्मों के रगड़े-झगड़े हो जाते हैं। असली रास्ता लोग भूल जाते हैं। गहराई से देखा जाए तो रूहानियत सबकी एक ही है। अन्य युगों की अपेक्षा कलयुग में आदमी की उम्र घट गई है। मन चंचल हो गया है। अन्न में प्राण चला आया है। शारीरिक शक्ति भी घट गई। नाम का मौन जाप सुमिरन है, ऋष्टि को एकाग्र करके नौ दरवाजों पर फैली आत्मा की शक्ति का सिमटाव कर आंखों के मध्य भाग में लाना ध्यान है। दोनों कानों को बंद करके अनहदवाणी को सुनना भजन है।
उन्होंने संगत प्रेमियों को भूमि दर्शन, भूमि पूजन, शिलान्यास के कार्यक्रम , जयगुरुदेव मंदिर हेतु संकल्प सेवा की पर्चियां भरवा कर जानकारी दी।मालिक की मौज एवं दया की वारिस को सरल शब्दों में प्रेमियों को समझाया। उक्त कार्यक्रम कृषि उपज मंडी परिसर में जयगुरुदेव संगत समसगढ़ के द्वारा मालिक की अपार मौज से संपन्न हुआ।