वन विभाग: महिला उत्पीड़न केसों में नहीं हो रहा विशाखा गाइड लाइन का पालन
भोपाल। पहला मामला: सीपीए में महिला वन अधिकारी की पोस्टिंग के बाद भी कार्यभार देने में महीनों तक लटकाया गया, फिर स्पेशल रेंज बना दी गई। गड़बड़ियों को उजागर करने पर प्रताड़ित किया गया और बडेÞ साहब से अकेले में मिलने और सेटिंग करने का आॅफर दिया गया। मना करने पर महिला को हटाते हुए सतपुड़ा में अटैच करवा दिया गया।
दूसरा मामला
विंध्य हर्बल में महिला कर्मचारी के साथ गंदी हरकत की गई। विरोध करने पर बदसलूकी हुई। शिकायत पर अधिकारियों ने थाने जाने से रोका और एफआईआर के बजाय जांच के नाम पर 40 दिन तक अटकाए रहे। नतीजे में महिला के साथ फिर से गंदी हरकते की गई। तब जाकर गोविंदपुरा थाने में एफआईआर करवाई गई।
तीसरा मामला
वन विहार में रेंजर, डिप्टी रेंजर के लिए बने मकानों को बाबूृ और ड्राइवरों को नियमविरूद्ध आवंटन करने पर अपना हक मांगने वाली महिला वनपाल को बिना किसी कारण आनन फानन में तबादला कर दिया गया। महिला की शिकायत की सुनवाई के बजाय गलत आवंटन को ही सही ठहराने के लिए फाइल बना दी गई।
चौंकाने वाला तथ्य है कि वन विभाग में महिला उत्पीड़न के मामलों में जांच करके कार्रवाई के बजाय महिलाओं की ही आवाज को दबाया जा रहा है। कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ना से लेकर सामान्य काम काज में भी महिलाओं को दबाने का काम किया जाता है। ऐसे में महिलाएं कार्यालयीन कामकाज में गड़बड़ी की शिकायत करती हैं तो उनके साथ प्रताड़ना शुरू हो जाती है। अचानक तबादला कर दिया जाता है, जिससे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाओं की आवाज घुटकर रह जाती है।
विशाखा गाइड लाइन की अनदेखी
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर बनी विशाखा गाइड लाइन का पालन वन महकमे या उससे जुडेÞ संस्थानों में नहीं होता है। विशाखा गाइड लाइन के अनुसार महिलाओं की प्रताड़ना संबंधी मामलों की सुनवाई के लिए प्रत्येक विभाग में महिला अधिकारियों वाली समिति होना चाहिए। इसके उलट पुरूष अधिकारी और कर्मचारी ही जांच करके महिला को ही दोषी ठहरा देते हैं या उसकी शिकायत को गलत बता देते हैं। इसके साथ ही महिला का ट्रांसफर भी कर दिया जाता है। इसका असर यह होता है कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली दूसरी महिलाएं डर के कारण पीछे हट जाती हैं।
विशाखा गाइड लाइन का पालन विभाग प्रमुख को करना ही चाहिए। जहां तक सीपीए का सवाल है तो वह हमारे अंडर नहीं है, वन विहार या अन्य कोई भी मामला अभी तक मेरे सामने नहीं आया है।
अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव, वन विभाग
सीधी बात
- रमेश गुप्ता, प्रधान मुख्य वनसंरक्षक
- विशाखा गाइड लाइन का पालन क्यों नहीं हो पा रहा है?
- सभी विभागों में नियमानुसार कमेटी होना चाहिए। वन विहार सहित भोपाल के सारे मामले सीसीएफ के अंडर में आते हैं। सीसीएफ को गड़बड़ी को देखना चाहिए।
- सीपीए की महिला अधिकारी को सतपुड़ा अटैच क्यों किया गया?
- वैसे सीपीए की कंट्रोलिंग अथॉरिटी आवास एवं पर्यावरण है, फिर भी किसी को डायरेक्ट सीपीए से सतपुड़ा भेजना गलत है। इसको दिखवाते हैं।
- विंध्य हर्बल में महिला कर्मचारी को रिपोर्ट करने से 40 दिन रोका गया?
- उसके लिए भी लघुवनोपज संघ के एमडी जिम्मेदार हैं, उनको देखना चाहिए कि विशाखा गाइड लाइन के हिसाब से कमेटी बनकर कार्रवाई हो।