सपाक्स ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने नही लगाई सामान्य पिछड़ा के प्रमोशन पर रोक
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी क्रीमीलयेर का प्रावधान लागू नहीं किया जा रहा है। वहीं कोर्ट द्वारा सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के प्रमोशन पर रोक नहीं होने के बाद भी बीते 6 साल से पदोन्नति से वंचित किया जा रहा है। दूसरी ओर, राज्य सरकार प्रमोशन के जो नियम बनाकर थोपने की कोशिश कर रही है, जिनका प्रदेशव्यापी विरोध किया जाएगा।
यह विचार सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स) की बैठक में सपाक्स अध्यक्ष डॉ. केदार सिंह तोमर, अजय कुमार जैन, सचिव राजीव खरे, उपाध्यक्ष जबर सिंह गुर्जर, कोषाध्यक्ष राकेश नायक, डॉ. सतीश श्रीवास्तव, अभिषेक तिवारी, आशीष भटनागर आदि ने व्यक्त किए। तोमर ने कहा कि जब सरकार अपने पुराने पदोन्नति नियम 2002 को सही मानती है तो नए नियम लाने का क्या औचित्य है? यदि सरकार नए नियम लाने की कवायद कर रही है तो स्पष्ट है कि वह मानती है कि पुराने नियमों में गड़बड़ी थी। ऐसे में सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील वापस हाईकोर्ट के फैसले का पालन करे। अभी सरकार जो नियम बनाकर थोपने की तैयारी में हैं, वह एम नागराज, जरनैलसिंह प्रकरणों में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के निर्देशों के खिलाफ हैं। इस बारे में मंत्री समूह को ज्ञापन भी दिया गया, लेकिन सरकार वर्ग विशेष के वोट बैंक के चक्कर में सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग को कुचलने पर आमादा है।
क्रीमीलेयर लागू करके डिमोशन करें
संस्था ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पालन में क्रीमीलेयर लागू की जाए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जिनको पदोन्नति नियम-2002 के तहत प्रमोशन मिला है, उनका डिमोशन किया जाए। अन्यथा प्रदेशभर में मतदान महादान अभियान शुरू करके गांव और कस्बों तक में आंदोलन किया जाएगा।
सरकार इन नियमों को लाकर एक बार फिर उसी वर्ग के अधिकारियों/ कमर्चारियों को पदोन्नति देना चाहती है जिनकी पदोन्नति पर मा उच्च न्यायालय ने प्रश्न खड़े किए हैं। जब प्रकरण पर मा सर्वोच्च न्यायालय ने यथास्थिति के आदेश दिए हैं तो अलग नई व्यवस्था कर ऐसे अधिकारी/ कमर्चारी को पदावनत न कर सरकार उन्हें और पदोन्नति देने का प्रावधान करने की मंशा से ही नए नियम ला रही है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पदोन्नति पर रोक उन लोगों पर है जिन्हें नियम 2002 से अविधिक लाभ देकर पदोन्नत किया गया था। तत्संबंधी स्पष्टता मा उच्च न्यायालय द्वारा धीरेंद्र चतुर्वेदी बनाम मप्र शासन प्रकरण व पश्चात ग्वालियर खंडपीठ द्वारा भी पुष्ट किया जा चुका है। अफसोस है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकार 6 वर्षों से सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग की पदोन्नति बाधित करते हुए इन वर्गों के साथ स्पष्ट अन्याय कर रही है और एक बार फिर उन्हें ही आगे बढ़ाने के नियम ला रही है जिन्हें वास्तव में पदावनत होना चाहिए।
1.पदोन्नति में आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं किया गया है.
2 मध्य प्रदेश सरकार द्वारा नए नियम बनाकर स्वयं स्वीकार कर लिया गया है की पुरानी नियम गलत है अत: पुराने नियमों से जो लोग गलत रूप से पदोन्नत हुए हैं उन्हें तत्काल पदावनत किया जाए.
3 इन पदोन्नति नियमों से किसी भी उस कमर्चारी की पदोन्नति नहीं की जा सकती जो कमर्चारी पूर्व के गलत नियमों से पदोन्नत हैं एवं उनकी पदोन्नति पर ही प्रश्नचिन्ह है, क्योंकि उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें पदावनत् करने के आदेश दिए गए हैं । सरकार सुप्रीम कोर्ट के २३ं३४२-०४ङ्म के तहत उन्हें पदावनत् नहीं कर रही है तो फिर उनकी पदोन्नतियां किस तरह से संभव है, यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय की सीधी अवमानना होगी ।
4. एफिशिएंसी पर अभी भी कोई क्लेरिफिकेशन सरकार की तरफ से नहीं है.
5. अभी भी आरक्षित वर्ग के लोगों को अनारक्षित के पदों पर पदोन्नति का प्रावधान किया गया है जिसे आरक्षित वर्ग का प्रतिशत अनारक्षित वर्ग के अधिक हो जाएगा.
6. इन नियमों में पुन: वरिष्ठ कमर्चारी के ऊपर कनिष्ठ कमर्चारी को पदोन्नत करने का प्रावधान किया गया है जो कि पूणर्ता गलत है किसी भी प्रकार से कोई भी कनिष्ठ कमर्चारी अपने से वरिष्ठ कमर्चारी के पहले पदोन्नत नहीं होना चाहिए .
7.पदोन्नति में आरक्षण में प्रतिनिधित्व का निर्धारण पूरा का पूरा 36% कर दिया गया है.प्रतिनिधित्व शत प्रतिशत आबादी को अगर दे दिया गया है तो फिर अनारक्षित में पदोन्नति का प्रावधान पूणर्ता निरस्त करना चाहिए अन्यथा प्रतिनिधित्व 36% से कम कर के आरक्षित वर्ग की कुल जनसंख्या का 50% अर्थात अधिकतम 18% करना चाहिए
8.सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अंतर्गत आरक्षित वर्ग के किसी कमर्चारी द्वारा अपने चयन में आरक्षण आरक्षण के किसी भी प्रावधान प्रावधान का लाभ प्राप्त किया है उसे अनारक्षित वर्ग में स्थान नहीं दिया जा सकता, अत: अनारक्षित वर्ग में आरक्षित वर्ग के कमर्चारी की पदोन्नति का प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों अंतर्गत गलत है.