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सरकारी कर्मचारियों का अब सिर्फ 20 हजार रुपए तक का होगा इलाज

मप्र सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम 2022 का नोटीफिकेशन जारी

भोपाल। प्रदेश के कर्मचारियों के इलाज के लिए मप्र सिविल सेवा (चिकित्सा परिचर्या) नियम 2022 का नोटीफिकेशन जारी हो गया है। इससे अब कर्मचारियों या उनके आश्रितों के इलाज पर होने वाले खर्च की सीमा निर्धारित कर दी गई है, जिसके चलते सालभर में 20 हजार रुपए तक का इलाज हो सकेगा। हालांकि, प्राणघातक या दूसरे गंभीर रोगों के उपचार में यह सीमा लागू नहीं होगी और 20 लाख रुपए तक का भुगतान हो सकेगा। इसमें सरकारी, अर्द्धसरकारी, संविदा, नियमित, वर्कचार्ज, नगर सैनिक, आकस्मिकता निधि  से वेतन पाने वाले कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। दो से ज्यादा संतानें होने पर इस स्वास्थ्य बीमा का लाभ नहीं मिलेगा।

ज्ञात हो कि चिकित्सा परिचर्या नियमों में लंबे समय से संशोधन की प्रक्रिया चल रही थी। इसके तहत जारी हुए नए नियमों में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों के माता-पिता और पत्नी के अलावा सौतेली या गोद ली गई संतान और तलाकशुदा पुत्री भी काउंट की जाएगी। हालांकि दो से ज्यादा संतानें होने पर इसका लाभ नहीं मिलेगा। इसी तरह महिला कर्मचारी के माता पिता को यह लाभ तभी मिलेगा, जब वह पूरी तरह से पुत्री पर ही निर्भर करेंगे। वहीं सिर्फ सरकारी कर्मचारियो के लिए ही बांझपन के इलाज की सुविधा रहेगी। इसके लिए निजी अस्पतालों को संलग्न किया जाएगा, जोकि अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। 

यह नियम लागू होंगे-

  • प्रसूति प्रतिपूर्ति के लिए यदि दो या ज्यादा संतानें होंगी तो कर्मचारी पात्र नहीं होगा। जुड़वां संतान होने पर प्रतिपूर्ति होगी। 
  • ऐलोपैथिक के अलावा होम्यो, आयुष, यूनानी चिकित्सा के बिलों का जिलास्तरीय बोर्ड से सत्यापन के बाद पेमेंट होगा।
  • अगर पति या पत्नी दोनों शासकीय सेवा में हैं तो चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ किसी एक को ही मिल सकेगा। 
  • बिल भुगतान के लिए कैश मेमो एवं डॉक्टरी पर्चों के साथ 6 माह के अंदर प्राधिकारी के सामने प्रस्तुत करना होंगे।
  • इलाज सूचीबद्ध अस्पतालों में करवाया जा सकेगा। राज्य के बाहर गैर सूचीबद्ध अस्पताल की अनुमति नहीं मिलेगी।
  • राज्य के अंदर बिना रेफरल हुए भी कर्मचारी इलाज करा सकेगा, जिसकी बाद में पुष्टि और भुगतान हो सकेगा। 
  • राज्य के बाहर 5 लाख रुपए से अधिक और 20 लाख रुपए से कम के बिलों को प्रस्तुत किया जा सकेगा। 

इलाज कराना मुश्किल हो जाएगा

परिचर्या नियमों में संशोधन के बाद जो सीमा रेखा तय कर दी गई है, उसमें शायद ही कोई प्राइवेट अस्पताल इलाज करे। पूर्व की दरों को कम कर दिया है, जिससे इलाज कराना मुश्किल हो जाएगा। बेहतर होता कि कांग्रेस शासनकाल में तैयार ड्राफ्ट को ही फाइनल कर देते, जिससे कर्मचारियों का भला होता। 

                          लक्ष्मीनारायण शर्मा, महामंत्री, मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ

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