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शिवपुराण के अनुसार कलयुग में पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व :. पं. शास्त्री

बेगमगंज।  नगर के दीनदयाल कॉलोनी  में चल रहा शिवार्चन जिसमें ज्योतिषाचार्य हरिकेश शास्त्री ने बताया  जो भी भक्त मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पार्थिव शिवलिंग का पूजन और रुद्राभिषेक करता है तो  उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और कष्टों का निवारण होता है तथा सुख समृद्धि और पुत्र की प्राप्ति होती है। कलियुग में मोक्ष प्राप्ति के लिए और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण के लिए मिट्टी के शिवलिंग को उत्तम बताया गया है।पार्थिव शिवलिंग की ऊंचाई 12 अंगुल से अधिक नहीं होनी चाहिए।सभी देवी देवताओं की साकार रूप की पूजा होती है लेकिन भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा साकार और निराकार दोनों रूप में होती है। साकार रूप में भगवान शिव मनुष्य रूप में हांथ में त्रिशूल और डमरू लिए बाघ की छाल पहनें नंदी की सवारी करते हुए नजर आते हैं। शिवपुराण के अनुसार साकार औऱ निराकार दोनों रूपों में महादेव की पूजा फलदायी होती है।वहीं शिवलिंग की पूजा करना अधिक उत्तम माना गया है। शिव पुराण में शिवलिंग की अराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दुखों का निवारण होता है। देवलिंग, असुरलिंग, अर्शलिंग, पुराण लिंग, मनुष्य लिंग, स्वयंभू लिंग कई प्रकार के शिवलिंग होते हैं तथा इनका अलग महत्व और प्रभाव होता है। लेकिन शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्व है। ऐसे में आइए जानते हैं मिट्टी का शिवलिंग कैसे बनाएं और शिवपुराण में इसका क्या महत्व है।कैसे बनाएं मिट्टी का शिवलिंग आपको बता दें मिट्टी के शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है। मिट्टी का शिवलिंग गाय के गोबर, गुड़, मक्खन, भस्म, मिट्टी और गंगा जल मिलाकर बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन सभी चीजों को एक में मिला दें और फिर गंगाजल मिलाकर बनाएं। ध्यान रहे मिट्टी का शिवलिंग बनाते समय पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल करे इस अनुष्ठान में उपस्थित पं.ओम प्रकाश और मुख्य यजमान राजबहादुर ठाकुर , बृजेंद्र ठाकुर और सभी भक्तो ने भगवान शिव का पूजन अभिषेक किया।



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