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सफेदपोश शराब कारोबारी की उल्टी पड़ी चाल कलेक्टर ने की कार्यवाही

सिंडिकेट के दम पर शराब दुकान बंद करवाने का किया गया था ड्रामा

कलेक्टर की अनुमति बिना बंद कर दी थी दुकान

बड़े ग्रुप के कंधे से सफेदपोश शराब कारोबारी चला रहा है तीर

रीवा। व्यापार में यदि सफेदपोश प्रवेश कर जाए तो वह व्यापार राजनीति का अखाड़ा बन जाता है ऐसा ही कुछ शराब कारोबार में हो रहा है जिसमें सफेदपोश शराब कारोबारी अपना पैर पसार चुका है सिंडीकेट के नाम पर राजनीति शुरू कर दी हालात यह हो गए अपना ही पैसा लगाकर ठेकेदार सिंडिकेट के नाम पर सफेदपोश शराब कारोबारी के गुलाम बन कर रह गए उसके एक इशारे पर खुद अपना लाखों रुपए का नुकसान करने का आमदा है। हाल ही में सफेदपोश शराब कारोबारी ने कांटे से कांटा निकालते हुए रीवा से मऊगंज जा रही शराब की अवैध खेप को लौर पुलिस के हाथों पकड़ा या उसके बावजूद भी शराब ठेकेदारों की आंखें नहीं खुली उसके एक ही इसारे पर गुरुवार के दिन अपने पैर मे फिर से कुल्हाड़ी मार दी। 

इस बार कानूनी कुल्हाड़ी कलेक्टर मनोज कुमार पुष्कर के आदेश पर चली कलेक्टर श्री पुष्कर के आदेश पर आबकारी विभाग ने नेतागिरी करने वाले शराब ठेकेदारों के विरुद्ध विभागीय अपराध पंजीबद्ध करते हुए आरोप पत्र जारी कर दिया है जैसे ही इस बात की भनक शराब ठेकेदारों को लगी तो सफेदपोश शराब कारोबारी की शरण में जा गिरे मजे की बात तो यह है कि कलेक्टर के फरमान के आगे सफेदपोश शराब कारोबारी भी नेतागिरी करने वाले शराब ठेकेदार के उपर  से हाथ उठाते मिले। 

सूत्र तो बताते हैं कि कलेक्टर ने सफ़ेदपोस  शराब कारोबारी की छत्रछाया में चल रहे शराब दुकान के डायरेक्टर को भी आरोप पत्र जारी कर दिया है। 

शाशन -प्रशासन पर बनाना चाहते थे दबाव

सिंडिकेट के पर्दे के पीछे बैठे सफेदपोश शराब करोबरि के इशारे पर मंगलवार को शराब ठेकेदारो ने मीडियाकर्मी को बुलाकर उनके सामने शटर गिरा कर पर्याप्त देसी शराब ना मिलने का दुखड़ा रोया। शाशन प्रशासन पर दवाव बनाने के लिए फोटो खिचवाई और केमरे मे बयान दिया की अब यह दुकान की चाभी आबकारी विभाग को सौंपने जा रहे है। खबर शहर से लेकर ग्रामीण आँचल तक आग की तरह फैल गई शराब दुकान बंद होने के बाद शराब दुकानदारो ने फिर से खोला मजे की बात तो है की यह सब नाटक उस समय हुआ जब सीएम शिवराज सिंह चौहान का रीवा मे  कार्यक्रम होना निश्चित हुआ था। ताकि बुधवार को शामिल कार्यकरम में मुख्यमंत्री के कानों तक बात पहुँचे

तश्करी के लिए नही मिल रही पर्याप्त शराब सच तो यह है कि रीवा जिले में सबसे ज्यादा देसी मदिरा की खपत है दुकान से लेकर ग्रामीण अंचल तक देसी मदिरा की बिक्री है देसी मदिरा की तस्करी के दम पर शराब ठेकेदार करोड़ों रुपए का दांव खेल रहे हैं यह बात भी सच है की जैगपिन डिशलरी पर्याप्त शराब देने मे असमर्थ है जिसकी बजह से शराब ठेकेदार तश्करी नही कर पा रहे है। लेकिन कंपोजित शराब दुकान होने की बजह से देशी के अभाव मे विदेशी शराब की बिक्री की जा सकती है। परंतु दुकान बंद नही की जा सकती 

बतौर उदाहरण गुढ़ में संचालित शराब दुकान है. जहाँ समय में ड्यूटी न जमा होने के बाबजूद भी चंद बोतले शराब होते हुए भी दुकान खुली रही।

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