एनसीएचआरओ की टीम ने जारी की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट
भोपाल। गुना एनकाउंटर फेक है, जिसकी जांच सिरपुरकर कमीशन की तर्ज पर कमीशन बनाकर सुप्रीम कोर्ट करवाए, क्योंकि पुलिस सफेदपोश अपराधियों को बचाने के लिए एनकाउंटर कर रही है। वहीं जिस घर में शादी थी, पुलिस ने वहां से दबिश देकर दहेज का दो लाख रुपया और गहने आदि उठा लिए थे। यह राशि वापस करवाई जाकर 10 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।
यह कहना है एनसीएचआरओ (नेशनल कंफडरेशन आॅफ हृयूमन राइट्स आॅर्गनाइजेशन) के जांच दल की आराधना भार्गव एवं वासिद खान का, जिन्होंने बिदौरिया गांव से लौटकर फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट मीडिया के सामने जारी की। इनका कहना है कि पूरे मामले में सच्चाई के उलट पुलिस की रिपोर्ट है, क्योंकि मुठभेड़ में पहले एसआई राजकुमार जाटव ने नौशाद को गोली मारी थी। इससे उसकी मौत के बाद उसके भाई शहजाद ने गोलियां चलार्इं थीं। बाद में पुलिस ने शहजाद को गांव के पास ही बच्चों के सामने गोली मारी, जिसके गवाह परिवार वाले हैं। वहीं जंगल में मुठभेड़ के बाद आरोपियों के मकान बताकर पुश्तैनी मकान गिरा दिए गए, जिससे बच्चों सहित परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए हैं। इससे जिन बच्चियों का निकाह होना था, उनके दहेज सहित सारा सामान नष्ट हो गया। जांच दल के अनुसार एनकाउंटर की पुलिस की कहानी में कई सवाल है।
असली अपराधियों को बचाया गया
जांच दल के अनुसार नौशाद और शहजाद को रात को शिकार करने के लिए बुलाने सरंपच गगन और कल्ला अपनी-अपनी बंदूकें लेकर आए थे। पुलिस से मुठभेड़ के बाद नौशाद की लाश दिबौरिया गांव में लेकर पहुंचे थे। बावजूद पुलिस ने उनके नाम तक पूरी रिपोर्ट में शामिल नहीं किए हैं। पुलिस बडेÞ लोगों को बचाने के लिए फर्जी एनकाउंटर कर रही है। वहीं वन महकमा वालों को अवैध शिकार की बात पता थी और उनकी मिलीभगत के चलते ही शिकार एवं लकड़ी कटाई होती है।