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गुजरात पद्धति पर होगी मध्यप्रदेश में प्राकृतिक खेती : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कृषि की प्राचीन पद्धति प्राकृतिक कृषि, भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। इस तरह की कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता। इस नाते पर्यावरण के लिए अनुकूल और देसी गाय के गोबर और गौमूत्र पर आधारित प्राकृतिक कृषि को मध्यप्रदेश में बढ़ावा दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नवगठित प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड की आज मंत्रालय में हुई पहली बैठक में कहा कि मध्यप्रदेश में प्राकृतिक कृषि से संबंधित कार्यों को गुजरात पैटर्न पर संचालित करें। गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत गत 13 अप्रैल को भोपाल आए थे और उन्होंने प्राकृतिक कृषि के महत्व के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी सार्वजनिक कार्यक्रम एवं कार्यशाला में दी थी। श्री आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक कृषि का सफल प्रयोग भी किया है। उनके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के अनुसार संपूर्ण कार्य-योजना लागू की जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में प्राकृतिक कृषि विकास योजना के प्रथम चरण के कार्यों को प्रारंभ किया जाए। हरियाणा और गुजरात राज्यों के बाद मध्यप्रदेश ने प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन कर लिया है। मुख्यमंत्री इस बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा, कृषि मंत्री श्री कमल पटेल, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण राज्य मंत्री श्री भारत सिंह कुशवाह वर्चुअल रूप से शामिल हुए। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री अजीत केसरी, अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी एवं पशुपालन श्री जे.एन. कंसोटिया एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री शैलेंद्र सिंह और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों का प्राकृतिक कृषि के लिए पूर्व में पंजीयन के लिए आहवान किया गया था। इसके बाद किसानों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखने को मिली। आगामी 31 मई तक प्राकृतिक कृषि के लिए जो कृषक गंभीर हैं उन्हें पंजीयन करवाने की सुविधा दी जाए। अब तक प्रदेश में करीब 25 हजार कृषकों ने प्राकृतिक कृषि में रुचि प्रदर्शित की है और इसके लिए पंजीयन भी करवा लिया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि कृषि विश्वविद्यालयों के स्तर पर प्राकृतिक कृषि को अनिवार्य किया जाए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नर्मदा नदी के दोनों ओर 5 किलोमीटर क्षेत्र में प्राकृतिक कृषि को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने समयबद्ध कार्यक्रम तैयार करने के निर्देश दिए।

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