हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब
जबलपुर। मध्य प्रदेश मेडिकल काउसिंल द्वारा रजिस्टेÑशन आदेश को खारिज किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश सरकार द्वारा कोर्स को मान्यता दिये जाने के बावजूद भी एमपीएमसी ने बिना किसी कारण का उल्लेख किये आवेदन को निरस्त कर दिया। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस विवेक अग्रवाल तथा जस्टिस विशाल धगट ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता डॉ. अंकुर राठी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि एमडी का कोर्स करने के बाद उन्होंने अतिरिक्त क्वालिफिकेशन के लिए उन्होंने सीपीएस मुम्बई में दाखिला लिया था, जो देश के पुराने कॉलेजों में एक है। सीपीएस मुम्बई को महाराष्ट्र मेडिकल काउसिंल ने मान्यता प्रदान की है। कॉलेज से उसने डिप्लोमा इन मेडिकल रोडियोलॉजी एण्ड इलेक्टोलॉजी का कोर्स किया था। याचिका में कहा गया था कि उक्त कोर्स को प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता दी गयी है। कोर्स करने के बाद उसने प्रैक्टिस करने के लिए एमपीएमसी के समक्ष आवेदन दिया था। एमपीएससी ने बिना किसी कारण का उल्लेख करते हुए सिर्फ दो लाइन में आवेदन खारिज करने की सूचना उसे ईमेल द्वारा प्रदान की है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार सहित एनएमसी तथा एमपीएमसी को अनावेदक बनाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की।