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Mp पंचायत चुनाव: सक्रिय हुआ चुनाव आयोग, तैयारियां शुरू

भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार थम गई है। जिसके बाद आगामी निकाय चुनाव पंचायत चुनाव को लेकर एक बार फिर से चुनाव आयोग  सक्रिय हो रहा है। 

ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में पंचायत के चुनाव 1 साल से अधिक समय से अटके हुए हैं। हालांकि कई बार राज्य में पंचायत चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने अपनी सक्रियता दिखाई लेकिन कोरोना के लगातार बढ़ते मामले को देखते हुए आयोग और शासन प्रशासन को पीछे हटना पड़ा।

वहीं अब एक बार फिर से चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव आयोग ने प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्षों को आरक्षण के लिए सरकार को पत्र लिखा है। वहीं पत्र में चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण प्रक्रिया को शुरू करने की बात कही है।

प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत 52 जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव होने हैं। इसकी तैयारी पिछले 1 साल से की जा रही है। वहीं अब तक काम पूरा नहीं हो पाया है। ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने अक्टूबर 2020 में चुनाव की प्रक्रिया शुरू की थी। हालांकि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए स्थानीय चुनाव की प्रक्रिया को टाल दिया गया था। जिसके बाद आयोग ने चुनावी तैयारियों पर रोक लगा दी थी।

राज्य निर्वाचन आयोग एक बार फिर से चुनावी तैयारी में जुट गया है। दरअसल पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची 1 जनवरी 2021 के आधार पर तैयार की जा रही है हालांकि अभी यह नहीं है कि प्रदेश में पंचायत चुनाव कब करवाए जाएंगे। इस मामले में निर्वाचन आयोग सहित शासन प्रशासन का कहना है कि चुनाव आगामी तीसरी लहर की सम्भावना के ऊपर निर्भर है। इस बात का फैसला आगामी लहर की संभावना को देखते हुए किया जाएगा। वही जनपद पंचायत में अध्यक्ष, सदस्य और सरपंच की आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। चुनाव पूर्व में किए गए आरक्षण के आधार पर ही होंगे। जिसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करा दी गई है।

वही निकाय चुनाव की बात करें तो निकाय चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया का मामला कोर्ट में अटका हुआ है। दरअसल हाईकोर्ट में दायर की गई एक याचिका में कहा गया कि निकाय में आरक्षण रोटेशन के आधार पर हो जबकि शिवराज सरकार का कहना है कि जनसंख्या के आधार पर महापौर अध्यक्ष आदि जातिगत आरक्षण तैयार किए जाए। जिसमें ग्वालियर बेंच द्वारा संविधान के अनुसार रोटेशन के आधार पर चुनाव कराने का फैसला दिया गया था। इसे लेकर शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। सुप्रीम कोर्ट में फैसला लंबित है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही प्रदेश में निकाय चुनाव की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

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