भोपाल। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने राजभवन परिसर में विकसित नवीन चंदन वाटिका में रक्त चंदन और बेलपत्र के पौधें रोपे वाटिका में 25 रक्तचंदन और 11 बेलपत्र के पौधे लगाए गए। पौधरोपण कार्यक्रम में राजभवन के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि रक्त चंदन और सफेद चंदन दोनों अलग-अलग प्रजाति के पेड़ हैं। रक्त चंदन का वैज्ञानिक नाम टेरोकार्पस सेन्टनस है और सफ़ेद चंदन को सेंटलम अल्बम के नाम से जाना जाता है। रक्त चंदन की लकड़ी लाल होती है। उसमे सफ़ेद चंदन की तरह कोई महक नहीं होती। इसकी औसत उँचाई आठ से ग्यारह मीटर होती है। बहुत धीरे-धीरे बढ़ने की वजह से इसकी लकड़ी का घनत्व बहुत ज़्यादा होता है। सफ़ेद चंदन की तरह रक्त चंदन का उपयोग अमूमन दवाएँ, इत्र बनाने और हवन-पूजा के लिए नहीं होता है। इससे महंगे फर्नीचर और सजावट के सामान बनते हैं। कॉस्मेटिक उत्पाद बनाने में भी इसके प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल होता है।
इसी तरह बिल्व, बेल या बेलपत्र, भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। इसमें रोगों को नष्ट करने की क्षमता होने से बेल को बिल्व कहा गया है।