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अब घर में मिलता नीर - तब पग-पग होती पीर, आदिवासी बाहुल्य कुँवरपाड़ा के हर घर में नल से जल

भोपाल। पानी से भरा एक बर्तन सिर पर और एक हाथ में लिए दूरस्थ जल स्त्रोत से घर तक पहुँचना बड़ा कठिन और तकलीफ देय काम है। लेकिन परिवार की जरूरत होने पर ऐसा दिनभर में एक से अधिक बार भी करना पड़ता था। इतना कठिन काम और ऊपर से मौसम की मार। चाहे गर्मी हो वर्षा या सर्दी, मानव का गुजारा पानी के बिना तो संभव नही हो सकता है। यह सब हमारी ग्रामीण आबादी और खासकर आधी आबादी (महिला वर्ग) की व्यथा थी जो अब शनै-शनै जल जीवन मिशन के जरिये खत्म होती जा रही है।

जल जीवन मिशन में घर पर ही नल से जल मुहैय्या करवाने की कड़ी में रतलाम जिले के सैलाना विकासखण्ड का आदिवासी बाहुल्य गाँव कुँवरवाड़ा भी एक है। करीब 900 आबादी वाले इस ग्राम के सभी 200 घरों में नल के जरिए जल पहुँचाया जा चुका है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने इस गाँव के लिए जल जीवन मिशन में 50 लाख की योजना बनाई। यह गाँव तीन फलियों (आबादी) में बसा है। विभाग ने गाँव की पहाड़ी पर संपवेल बनाया ताकि दूर-दूर तक के घरों में प्रेसर (दबाब) के साथ पानी पहुँच सके। कुँवरपाड़ा के लोगों को अपने घर में लगे नल से पानी मिल रहा है। अब ग्रामीण आबादी को पानी के लिए सर्दी, गर्मी अथवा वर्षा के मौसम और दूर से पानी भरकर लाने में पग-पग होती पीर से निजात मिल रही है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा प्रदेश की समग्र ग्रामीण आबादी को जल जीवन मिशन में घर में ही नल कनेक्शन से जल प्रदाय किए जाने के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। सभी जिलों के ग्रामों और घरों की संख्या के आधार पर जल प्रदाय योजनायें बनाकर पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

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