नई दिल्ली। टोक्यो ओलिंपिक खत्म हो चुका है। इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने 7 मेडल जीते हैं, जो भारत द्वारा अब तक किसी भी ओलिंपिक में जीते सबसे ज्यादा मेडल हैं। इससे पहले भारतीय खिलाड़ियों ने 2012 लंदन ओलिंपिक में 6 मेडल जीते थे। नीरज ने भारत के 121 साल के ओलिंपिक इतिहास में पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने फाइनल में 87.58 मीटर का थ्रो करके दुनिया के दिग्गज जैवलिन थ्रोअर्स को मात दी। नीरज इंटरव्यू में कह चुके हैं कि ओलिंपिक में उनके विदेशी कोच का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
नीरज की ट्रेनिंग पर 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। विदेश में उनकी ट्रेनिंग और टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए 450 दिनों में 4.85 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस दौरान नीरज ने 26 टूर्नामेंट्स में भाग लिया। साथ ही उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, पोलैंड, टर्की, फिनलैंड, चेक रिपब्लिक और स्वीडन में ट्रेनिंग कैम्प्स में भी हिस्सा लिया। वहीं टोक्यो ओलिंपिक से पहले नीरज अपनी तैयारियों के तहत यूरोपियन टूर्नामेंट में भाग लेने गए और 50 दिन तक स्वीडन में ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया। इस ट्रेनिंग पर SAI की ओर से 19 लाख 22 हजार रुपए खर्च किए गए।
नीरज चोपड़ा 2016 रियो ओलिंपिक के बाद से ही विदेशी कोचों की निगरानी में कोचिंग कर रहे हैं। पहले उन्होंने 2017 से 2019 के बीच जेवलिन थ्रो के महान खिलाड़ी उवे होने की निगरानी में ट्रेनिंग की और उसके बाद डॉ. क्लाउड बार्टोनिट्ज के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग ली। टोक्यो में भी क्लाउड उनके साथ थे। इन विदेशी कोचों की सैलरी पर 1 करोड़ 22 लाख रुपए खर्च किए गए। वहीं उनके जेवलिन पर 4 लाख 35 हजार रुपए खर्च किए गए।