Type Here to Get Search Results !

कालबेलिया समाज राष्ट्र की परम्परा और संस्कृति को सहेजने के लिए जाना जाता है - इदाते (दादा)

भोपाल। विमुक्त घुमंतू तथा अर्धघुमंतू जनजाति विकास एवं कल्याण बोर्ड समाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के अध्यक्ष श्री भिकू रामजी इदाते (दादा) ने कहा कि कालबेलिया समाज राष्ट्र की परंपरा और संस्कृति को सहेजने के लिए जाना जाता है। विमुक्त समुदाय का मतलब है स्वतंत्रता सैनानी। अगर हम 1857 के पहले भी देखें तों हमें कई ऐसे समुदाय के लोगों के काम देखने को मिलते हैं जिन्होंने अपने राष्ट्र को सहेजने के लिए काम किया। वहीं घुमंतू समुदाय में 20 से अधिक ऐसे समुदाय हैं जो अपने कौशल विकास के लिए जाने जाते हैं और वे उस कौशल में सर्वोपरि हैं। श्री इदाते जनजाति संग्रहालय में कालबेलिया घुमंतु समुदाय के हस्त कौशल पर एकाग्र शिविर 'निस्पंद' के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

श्री इदाते ने कहा कि इस शिविर के माध्यम से आमजन को समुदाय की कला और परंपरा के बारे में जानकारी भी मिल सकेगी। शुभारंभ अवसर पर कालबेलिया समुदाय के कलाकारों ने बीन, ढोलक, मंजीरा, डफली की धुन पर नृत्य कर की प्रस्तुति की गई।  प्रमुख सचिव श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि संस्कृति विभाग और जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा जनजातीय संग्रहालय में 25 अगस्त से 3 सितंबर तक 10 दिवसीय 'निस्पन्द' कला शिविर का आयोजन किया जा रहा। इसमे मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान  के करीब 50 कलाकार ने हिस्सा ले रहे। शिविर में कढ़ाई-बुनाई, पारंपरिक वेशभूषा और अन्य सामग्री का निर्माण होगा। इसमें निर्मित सामग्री को दर्शक 'चिन्हारी' सोविनियर शॉप से क्रय भी कर सकेंगे।

जनजातीय संग्रहालय के निदेशक डॉ. धर्मेंद्र पारे ने बताया कि इसके पूर्व अन्य कई समुदायों की कला, परंपरा और शिल्प पर काम किया जा चुका है लेकिन घुमंतू समुदाय की कला, शिल्प और परंपरा पर पहली बार काम किया जा रहा है। इससे इनकी कलाओं और परंपराओं को सहेजा जा सकेगा।

संस्कृति मौजुद संचालक श्री अदिति कुमार त्रिपाठी, श्री अशोक मिश्रा सहित विभाग के अधिकारी कर्मचारी अन्य उपस्थित थे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.