नवीन रांगियाल, व्लादिवोस्टोक। भारत के लद्दाख पर कब्जा जमाने के लिए चीन आए दिन नित नई चालें चल रहा है। पाकिस्तान लगभग चीन के इशारों पर चलता ही है, वहीं हाल ही में नेपाल की राजनीति में दखल के साथ ही चीन लगभग इस मुल्क में एंट्री कर चुका है। फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया से चीन का विवाद रहा ही है। अब चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति का नया मोर्चा खोल लिया है। चीन ने रूस के व्लादिवोस्तोक शहर पर अपना होने का दावा किया है।
हाल ही में चीन में ट्विटर की तरह चलने वाली एक माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ‘वीबो’ पर एक वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें रूस के व्लादिवोस्तोक शहर को चीन का होने का दावा किया जा रहा है। यह दावा चीन में वायरल हो रहा है।
चीनी सोशल मीडिया के इस दावे के बाद चीन के सरकारी न्यूज चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने भी यही दावा किया है कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर साल 1860 से पहले चीन का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था और रूस से एकतरफा संधि के जरिए इसे छीन लिया गया था।
चीनी अधिकारियों ने एक वीडियो में व्लादिवोस्तोक सिटी को 160 साल पुराना बताया है। वीडियो में चीनी अधिकारियों को कहते हुए सुना जा सकता है कि व्लादिवोस्तोक19वीं सदी में चीन की सीमा में था। चीन की तरफ दावा किया गया है कि व्लादिवोस्तोक, मन्चूरिया राज्य के किंग साम्राज्य का हिस्सा था और उस समय इसका नाम हाइशेनवाई था। लेकिन साल 1860 में रूस ने इस पर हमला कर इस पर कब्जा कर लिया।
दरअसल चीन ने रूस के व्लादिवोस्तोक को डवलेप करने के लिए यहां 10 अरब डालर का निवेश कर रहा है। लेकिन इस निवेश से रूस-चीन की दोस्ती बढ़ने के बजाय दुश्मनी होती जा रही है। चीन के इस भारी निवेश की वजह से यहां बड़ी संख्या में चीन के मजदूर आ रहे हैं। इस वजह से रूस में डर बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह इलाका अब अघोषित रूप से चीन का हो गया है और चीन कभी भी इस पर कब्जा कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबकि रूस के इस इलाके में 3 से 5 लाख चीनी लोग रहते हैं।
क्या है इतिहास?
रूस का व्लादिवोस्तोक शहर प्रशांत महासागर में तैनात उसके बेड़े का प्रमुख बेस है। रूस के उत्तर पूर्व में स्थित यह शहर प्रिमोर्स्की क्राय राज्य की राजधानी है। यह शहर चीन और उत्तर कोरिया की सीमा के नजदीक स्थित है। व्यापारिक और ऐतिहासिक रूप से व्लादिवोस्तोक रूस का सबसे अहम शहर है। रूस से होने वाले व्यापार का अधिकांश हिस्सा इसी पोर्ट से होकर जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध मे भी यहां जर्मनी और रूस की सेनाओं के बीच भीषण युद्ध लड़ा गया था।
व्लादिवोस्तोक ट्रांस-साइबेरियन रेलवे का टर्मिनस भी है जो मॉस्को को जोड़ता है। अगर ट्रेन के जरिए यहां से मॉस्को के लिए निकला जाए तो सात दिनों में रूस की राजधानी पहुंचा जा सकता है। इस शहर में सेंट्रल स्क्वॉयर है जहां पर उन स्थानीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है, जिन्होंने 20वीं सदी की शुरुआत में जापान की सेनाओं को मात दी थी। भारत के अलावा इस समय चीन और जापान के साथ भी सीमा विवाद जारी है। चीन ने जापान के दावे वाले ईस्ट चाइना सी में अपनी सेनाएं भेज दी हैं।