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84 जनजातियां हैं विमुक्त एवं घुमंतू की, लेकिन आबादी का पता नहीं

विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू समुदाय विकास एवं कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा मानव विकास संग्रहालय की तर्ज पर बने घुमंतुओं का संग्रहालय

भोपाल। विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू समुदाय विकास एवं कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष भिकूजी इदाते दादा ने कहा है कि मध्यप्रदेश में 84 प्रकार की विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमंतू जनजातियां हैं, लेकिन इनकी वास्तविक आबादी कितनी है, तो इसका सही-सही पता नही है। इसके अलावा इनके घुमंतू आचरण के कारण बच्चों का एडमिशन बड़ी समस्या है, जिसके लिए मुकम्मल योजना बनाने और क्रियान्वित करने की जरुरत है। 

भिकूजी इदाते शुक्रवार को प्रदेश के तीन दिवसीय दौरे के बाद मीडिया से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में इन वर्गों की सही-सही जनसंख्या का पता नही है। इसके अलावा एक से दूसरे क्षेत्र में भ्रमणशील रहने से इन जनजातियों के बच्चों के स्कूल में एडमिशन की समस्या भी रहती है, जिससे शिक्षा का स्तर नहीं बढ़ पाता है। इसके लिए लगातार राज्य सरकारों से संपर्क करके समन्वय स्थापित किया जा रहा है। ताकि घर-घर सर्वे हो सके। रोजगार के लिए एनजीओ की भी मदद ली जा रही है। 

कल्याण बोर्ड को सशक्त बनाने की जरुरत

भिकूजी ने बताया कि तीन दिवसीय प्रदेश भ्रमण के दौरान जनजातियों के विकास के लिए किए जा रहे कामों के बारे में मंत्रियों से चर्चा करके समीक्षा की है। साथ ही मध्य प्रदेश के विमुक्त, घुमंतू एवं अद्धर्घुमंतू समुदाय विकास एवं कल्याण बोर्ड को और प्रभावी बनाने के लिए डेपुटेशन के बजाय पूर्णकालिक कर्मचारियों और सदस्यों की संख्या पूरी करने पर जोर दिया। साथ ही इन समुदायों की शिकायतों के निवारण के लिए हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में शिकायत निवारण समितियों के गठन का सुझाव भी उनके बोर्ड ने दिया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की विमुक्त, घुमंतू एवं अद्धर्घुमंतू जनजातियों की संस्कृति, रहन-सहन और जीवन पद्धति से लोगों को अवगत कराने के लिए मानव संग्रहालय की तर्ज पर एक संग्रहालय और शोध संस्थान बनाया जाए।

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