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शांति, अमन और भाईचारे से ही देश की स्वतंत्रता की सार्थकता सिद्ध होती है

नई दिल्ली। आज हम देश का 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। आज हम उन लोगों को याद करते हैं जिन्होंने देश को आज़ाद कराने में अपना सारा जीवन लगा दिया। जेल की यातनाएं सहीं और अपने प्राणों की आहुति दी। उन सभी महापुरुषों के त्याग और बलिदान से देश आज़ाद हुआ । 

आज़ादी से लेकर आज तक देश ने विकास के कई आयाम छुए हैं। एक समय वो था जब देश में एक सुई तक नहीं बनती थी, आज भारत दुनिया में हर क्षेत्र में अपना सिक्का जमा चुका है और मिसाइल से लेकर मशीनरी तक कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो यहाँ नहीं बनती हो। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने हमें वादा किया था कि देश को आत्मनिर्भर बनाएंगे। उन्होंने बड़े बड़े कारखानों और  बाँधों से विकास के नए सोपान स्थापित किये। इन संस्थानों और सही नीतियों ने हमें आत्मनिर्भर बनाया और विश्व में शक्तिशाली देश के रूप में लाकर खड़ा किया।  

आज देश बड़ी विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है। देश में महंगाई चरम पर है, युवा बेरोजगारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर आंदोलित हैं। दलित, आदिवासी, पिछड़ा सहित हर वर्ग परेशानियों से जूझ रहा है। देश में अघोषित इमरजेंसी जैसे हालात हैं। मौजूदा सरकार जनता की आवाज किसी भी तरह सुनने को तैयार नहीं है। सत्ताधारी दल सिर्फ और सिर्फ चुनावी राजनीति में मशगूल है, जिसके लिए वे देश की फिजा बिगाड़ने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। हिंदू को मुसलमान से लड़ाना, मुसलमान को ईसाई से लड़ाना, दलित को गैर दलित से लड़ाना, आखिर यह कौन सा देश हम तैयार कर रहे हैं? क्या गांधी जी, नेहरु जी व अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने देश की आजादी के लिए इसलिए संघर्ष किया था कि लोग आपस में लड़ते भिड़ते रहें। गांधीजी अपने जीवन के अंतिम पल तक अमन शांति और भाईचारा बनाए रखने के लिए संघर्ष करते रहे। आज हमें वही गांधी और नेहरू के सपनों के भारत की ओर लौटना होगा ,जहां जन गण मन की भावना एक हो, जहां सब मिलकर एक साथ रहें।

आज जो लोग राम के नाम से वैमनस्यता फैला रहे हैं वे यह क्यों नहीं विचार करते कि राम का नाम मर्यादा से जुड़ा हुआ है और कोई दंगाई सिर्फ अपने हितों के लिए राम नाम का दुरुपयोग कैसे कर सकता है? बड़ी बात यही है कि जो लोग श्री राम के नाम पर देश में घृणा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं उन्होंने कभी भगवान राम के चरित्र को पढ़ा ही नहीं। रामचरितमानस में स्पष्ट लिखा है ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति’। अर्थात सभी लोग वेद की नीति के अनुसार अपने-अपने धर्मों का पालन करते हुए एक दूसरे के साथ प्रेम भाव से रहेंगे। लेकिन कुछ लोग ना ‘श्रुति’ को मानते हैं न ‘रामचरितमानस’ को। श्री राम के नाम का इस्तेमाल करना है तो पहले उन्हें पढ़िए और फिर उनके विचारों को आत्मसात करिये।

आज देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर समस्त देशवासियों से विनम्र आग्रह है कि इस देश की खूबसूरती विभिन्नता में एकता, सामाजिक समरसता से है, समूचा देश एक सूत्र में बंधकर अपने समाज और देश के मजबूत भविष्य के लिए कार्य करेंगे तो निश्चित ही हमारा देश, विश्व का सबसे मजबूत देश बनकर उभरेगा। 

जिस प्रकार से देश को आज़ाद कराने में हमारे लाखों लोगों ने त्याग और बलिदान दिया उनसे सीख लेते हुए हमें देश के लिए हर तरह से प्रयास करना चाहिए कि समर्पण भावना से हम देश को और तरक्की के रास्तों पर ले जाएं, ये हमारा प्रयास होना चाहिए।  आज 75वें स्वतंत्रता दिवस पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। जय हिंद।

            -दिग्विजय सिंह, राज्यसभा सांसद, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश

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