अपने वतन की जमीं पर पांव रखते ही झलक पड़े छोटे भाई वीरसिंह के आंसू
सागर। भारत-पाकिस्तान अटारी बॉर्डर से सागर के गौरझामर निवासी प्रहलाद राजपूत की वतन वापसी हुई। मानसिक रूप से कमजोर प्रहलाद को लेने सागर पुलिस की टीम और प्रहलाद के छोटे भाई वीर सिंह पहुंचे। रिहाई की जानकारी होने पर उनका छोटा भाई वीरसिंह राजपूत निवासी घोषीपट्टी सागर पुलिस के साथ रविवार रात अमृतसर पहुंच गए थे। रात रूकने के बाद सोमवार सुबह से पुलिस के साथ वीरसिंह अमृतसर में बार्डर से करीब 10 किमी दूर रूके थे। बार्डर पर बड़े भाई प्रहलाद के आने और रिहाई की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार किया और उसके बाद वह घड़ी आ गई जब प्रहलाद अपने वतन लौटे। करीब 23 वर्षों तक पाकिस्तान की जेल में कैद रहे प्रहलाद राजपूत अब पूरी तरह बदल गए हैं। जब वे घर से गायब हुए थे तो उनकी उम्र महज 33 वर्ष की थी अब वे पूरे 56 वर्ष के हो चुके हैं। लेकिन जैसे ही प्रहलाद ने अपने देश की जमीन पर पैर रखा तो उनके मौके पर मौजूद उनके छोटे भाई वीरसिंह के आंसू झलक पड़े। सोमवार को अटारी बॉर्डर से रिहाई होने के बाद अब प्रहलाद सिंह सागर के लिए रवाना हो चुके हैं, जल्द ही वे अपने गांव में होंगे।
पुलिस अधीक्षकअतुल सिंह ने बताया कि सन 1998 प्रहलाद अचानक लापता हो गया था जो कि मानसिक रूप से कमजोर है। छानबीन करने पर भी कोई पता नहीं चला। फि र अचानक सन 2014 में संज्ञान में आया कि प्रहलाद पाकिस्तान की जेल में बंद है। प्रदेश सरकार के पुलिस विभाग और एसपी सागर ने प्रहलाद को रिहा कराने के लिए लगातार प्रयास किए। 23 साल बाद पाकिस्तान की जेल से 30 अगस्त को प्रहलाद रिहा हुये। सागर गौरझामर के सब इंस्पेक्टर अरविंद सिंह, आरक्षक अनिल सिंह एवं प्रहलाद का भाई वीर सिंह को सोमवार को बाघा अटारी वार्डर से प्रहलाद को 5.10 बजे शाम को सौंप दिया गया। वीर सिंह ने बताया कि उनकी मां अपने पुत्र प्रहलाद की वतन लौटने की आस में 5 वर्ष पहले ही गुजर गई है। लेकिन आज मां का सपना पूरा हो गया है और प्रहलाद अपने घर लौट आया है। इसके लिए उन्होंने प्रशासन का धन्यवाद व्यक्त किया। प्रहलाद की वापसी पर परिजनों व गांव में उत्सव, खुशी का माहौल हैं।