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ओबीसी आरक्षण मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश को रखा बरकरार, अंतिम सुनवाई 1 सितंबर को

सरकार को आवेदन पेश करने की स्वतंत्रता

जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण संबंधी मामलों में पूर्व के आदेश को यथावत रखा है। चीफ जस्टिस मो. रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान ईडब्लूएस आरक्षण व अन्य भर्तियों के मुद्दों पर सुनवाई हुई। जिस पर न्यायालय ने कहा है कि ओबीसी का 13 फीसदी आरक्षण होल्ड करने का आवेदन सरकार का ही था, जो कि एनएचएम भर्ती के लिये था, शेष भर्तियों के मुद्दे पर सरकार पुन: आवेदन करे। इसके साथ ही न्यायालय ने पूर्व का आदेश यथावत रखते हुए मामले की अंतिम सुनवाई 1 सितंबर को निर्धारित की है, हालांकि विस्तृत आदेश की फिलहाल प्रतीक्षा है। 

उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किये जाने के विरुद्ध अशिता दुबे सहित अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गई थी। जिसमें हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश 19 मार्च 2019 को जारी किये थे। युगलपीठ ने पीएससी द्वारा विभिन्न पदों की परीक्षाओं की चयन सूची में भी ओबीसी वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिए जाने के अंतरिम आदेश पारित किये थे। 

ये कहा था सरकार ने जवाब में

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश किये गये जवाब में कहा गया था कि प्रदेश में 51 प्रतिशत आबादी ओबीसी वर्ग की है। ओबीसी, एसटी, एससी वर्ग की आबादी कुल 87 प्रतिशत है। आबादी के अनुसार ओबीसी वर्ग का आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिषत करने का सरकार ने निर्णय लिया है। याचिकाकताओं का तर्क था कि सर्वोच्च न्यायालय की 9 सदस्यीय पीठ ने इंदिरा साहनी मामले में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। 

ये मुद्दे भी उठाए गए थे

दायर याचिकाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण तथा न्यायिक सेवा में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण दिए जाने की मांग की गयी थी। याचिकाओं में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के कारण प्रदेश में 60 प्रतिशत आरक्षण प्रभावी का मुद्दा भी उठाया गया था। मामले की पिछली सुनवाई पर युगलपीठ को बताया गया कि कोरोना महामारी के कारण मेडिकल अधिकारी की भर्ती आवश्यक है। पूर्व में पारित आदेश के कारण प्रदेश सरकार 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ सिलेक्शन लिस्ट जारी नहीं कर सकती है। 

13 जुलाई को ये हुआ था आदेश

सरकार के उक्त आवेदन पर न्यायालय ने विगत 13 जुलाई को अपने आदेश में कहा है कि सरकार मैरिट लिस्ट 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ तैयार करे, लेकिन 14 फीसदी आरक्षण के साथ चयन सूची जारी करे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह तथा सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरूषेन्द्र कौरव ने पैरवी की।

हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने जारी विज्ञप्ति में कहा है कि न्यायालय ने सरकार का वह आवेदन खारिज कर दिया है, जिसमें 13 फीसदी होल्ड किये गये आरक्षण के आदेश को संशोधित करने की राहत चाही गई थी। अधिवक्ता श्री सिंह का कहना है कि होल्ड किया गया 13 फीसदी आरक्षण सिर्फ एनएचएम भर्ती के लिए था, अन्य भर्तियों के लिये नहीं ,यह न्यायालय ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है। वहीं ईडब्ल्यूएस आरक्षण में सीटों के निर्धारण संबंध में शासन को पुन: आवेदन पेश करने के निर्देश दिये हैं।

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