कोलकाता। कोरोनाकाल में भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद बना हुआ है। दरअसल, पिछले दिनों राज्यपाल धनखड़ के दिए बयान और उनके द्वारा लिखे दो पत्रों से ममता बनर्जी नाराज हैं। शनिवार को उन्होंने राज्यपाल धनखड़ पर सत्ता हड़पने की कोशिश करने का आरोप लगाया। ममता ने 14 पेजों का पत्र लिखा। उन्होंने लिखा, ''मैं आपसे विनती करती हूं कि संकट की इस घड़ी में सत्ता हड़पने की अपनी कोशिशें तेज करने से आप बाज आ जाइए। आपको अपने ट्वीट में आधिकारिक पत्रों और लोगो का इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए।''
राज्यपाल के पास संज्ञान लेने के सिवाय कोई अधिकार नहीं- ममता
ममता ने राज्यपाल पर उपदेश देने और संवैधानिक नियमों का खुद पालन किये बगैर उसका प्रवचन देने तथा उल्लंघन करने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा, ''राज्यपाल मेरी नीतियों से सहमत नहीं हो सकते हैं। लेकिन, दुर्भाग्य है कि उनके पास केवल इसका संज्ञान लेने के सिवाय कोई अधिकार नहीं है। जब तक सरकार के पास बहुमत है, आप कुछ नहीं कर सकते।''
संक्रमितों के आंकड़े छिपाने का लगाया था आरोप
राज्यपाल धनखड़ ने ममता सरकार पर कोरोना संक्रमितों और मौतों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया था। धनखड़ ने शुक्रवार को भी ममता बनर्जी पर इसी मामले को लेकर तीखा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि ममता बनर्जी को आंकड़े छिपाने की बजाय राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त करने का काम करना चाहिए। केंद्र सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए धनखड़ ने पश्चिम बंगाल में खराब स्थिति की बात कही थी।
निर्वाचित मुख्यमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग करना निंदनीय: ममता
ममता ने पत्र में लिखा, ''एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के लिए एक राज्यपाल की ओर से इस तरह के शब्दों, विषयों और लहजे का इस्तेमाल करना भारत के संवैधानिक और राजनीतिक इतिहास में अनोखा है। मेरे और मेरे मंत्रियों और मेरे अधिकारियों के खिलाफ आपके (राज्यपाल के) शब्द अपमानजनक, असयंमित और निंदनीय हैं।''