भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड-19 के संकट से जो परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं और चुनौती सामने आई हैं, उसे अवसर में बदलने के लिए श्रम कानूनों में परिवर्तन आवश्यक है। इस समय श्रमिकों के लिए रोजी-रोटी की व्यवस्था सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। लॉकडाउन की स्थिति में भी मनरेगा और अन्य कार्यों में श्रमिकों को लाभान्वित किया जा रहा है। उनके खातों में राज्य सरकार ने राशि पहुँचाई है ताकि संकट के इस समय में वे परेशान न हों। निर्माण श्रमिकों, कारखाना श्रमिकों और अन्य सभी श्रेणियों के श्रमिकों के कल्याण के लिए चिंता के साथ ठोस प्रावधान किए जा रहे हैं। आने वाले महीनों में भी यही प्रयास रहेगा कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले, न्यूनतम वेजेस को सुनिश्चित किया जाए और श्रमिकों को जरूरी सुविधाएँ मिलें। श्री चौहान ने कहा कि आज के समय की यह प्राथमिकता भी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले 1000 दिवस में जो उद्योगपति नए उद्योग लगाएंगे, लोगों को रोजगार देंगे, उन्हें कम से कम श्रम कानूनों के पालन की सुविधा मिलेगी। इस संबंध में राज्य और केन्द्र के श्रम कानूनों का विस्तृत अध्ययन कर शीघ्र आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे। श्री चौहान ने आवश्यक श्रम सुधार प्रस्तावित कर यथाशीघ्र प्रारूप प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्रम कानूनों को सरल बनाने और श्रमिकों के अधिक से अधिक हित सुनिश्चित करने के संबंध में अधिकारियों से विचार-विमर्श कर यह निर्देश दिए। श्री चौहान ने कहा कि अगले एक हजार दिन राज्य में निवेश को अधिक से अधिक बढ़ाने और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने वाले होना चाहिए। इसके लिए विभिन्न श्रम कानूनों के प्रावधानों और औचित्य पर विचार कर उन्हें शिथिल करने, उनमें परिवर्तन करने और अर्थ-व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से सुधार के उपायों को लागू करने पर ध्यान देना है। उन्होंने कहा कि ऐसे श्रम कानून, जो अनावश्यक हैं, उन्हें समाप्त करने पर भी विचार किया जाएगा। श्री चौहान ने प्रमुख सचिव श्रम को इस संबंध में वर्कआउट कर कार्य-योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
बैठक में प्रस्तावित श्रम सुधारों पर चर्चा हुई। इस दौरान कारखानों को ऑनलाइन रिटर्न प्रस्तुत करने की सुविधा, 16 श्रम कानूनों में 61 रजिस्टर के स्थान पर एक रजिस्टर रखने, 13 रिटर्न कार्यालय में दाखिल करने के स्थान पर 1 रिटर्न ही दाखिल करने पर सैद्धांतिक सहमति हुई। इसी तरह, ऐसी स्थापना, जहाँ 10 से कम श्रमिक होते हैं, वहाँ श्रम अधिनियम के अंतर्गत श्रम आयुक्त की अनुमति के बिना निरीक्षण नहीं किए जाने का प्रावधान है। इस प्रावधान में श्रमिक संख्या बढ़ाने पर चर्चा हुई। इसके अलावा, दुकान एवं स्थापना अधिनियम 1958 में वाणिज्यिक स्थापनाओं को सुबह 8 से रात 12 बजे तक खोले जाने की छूट 24 घंटे में पंजीयन प्रदान किए जाने, रात में दुकानों के समय में अतिरिक्त दो घंटे की छूट और रेस्टोरेंट, सिनेमाघर आदि के खुले रहने के समय पर भी श्रम सुधारों के संबंध में चर्चा हुई। राज्य में श्रम कानूनों में रजिस्टर डिजिटल फॉर्मेट कम्प्यूटर में रखने की सुविधा, पंजीयन एवं लाइसेंसों में जो दस्तावेज मांगे जाते हैं, उनमें कमी करने, कारखाना अधिनियम में समय का निर्धारण कर रात्रि पाली में समय का निर्धारण, कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत सवैतनिक अवकाश के प्रावधानों पर विचार किया गया। प्रस्तावित सुधारों में कारखाना अधिनियम 1948 में थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन का अधिकार देने के लिए आवश्यक पंजीयन श्रमायुक्त द्वारा किए जाने, कानट्रेक्ट लेबर एक्ट 1970 में कानट्रेक्टर लाइसेंस केलेण्डर वर्ष के स्थान पर कानट्रेक्ट पीरियड के लिए दिए जाने, कारखाना अधिनियम 1948 की प्रभावशीलता को बिना विद्युत उपयोग और विद्युत उपयोग दोनों श्रेणियों में श्रमिक संख्या वृद्धि का प्रावधान शामिल है। वर्तमान में यह प्रावधान बिना विद्युत उपयोग के 20 श्रमिकों और विद्युत के उपयोग के साथ 10 श्रमिकों के लिए लागू है। बैठक में औद्योगिक विवाद अधिनियम, ठेका श्रम अधिनियम, मोटर यातायात कर्मकार अधिनियम और भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार अधिनियम के उल्लंघन के मामलों में कम्पाउंडिंग से निराकरण करने, औद्योगिक नियोजन अधिनियम और राज्य में केन्द्रीय मॉडल शॉप एक्ट के संबंध में भी चर्चा हुई।
मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस ने कहा कि गैर जरूरी श्रम कानून समाप्त करने पर विचार होना चाहिए। उन्होंने इस संबंध में श्रम विभाग द्वारा अन्य राज्यों द्वारा अपनाए गए उपायों का अध्ययन कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव श्रम श्री अशोक शाह, प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग डॉ. राजेश राजौरा, श्रम आयुक्त श्री आशुतोष अवस्थी और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।