जबलपुर। नर्मदा का जल इतना स्वच्छ हो गया कि अब इसमें बेधड़क आचमन कर सकते हैं। लॉकडाउन के कारण पर्यावरण की शुद्धता का स्तर बढ़ गया है। हवा तो शुद्ध हुई ही है, नर्मदा नदी भी निर्मल हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अप्रैल में नर्मदा के जल की 13 स्थानों पर जांच की। इसके नतीजे बताते हैं कि नर्मदा 15-20 साल में इतनी शुद्ध और निर्मल हुई है। कई स्थानों पर नदी के जल में बीओडी (बॉयो केमिकल डिमांड) और टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड) का स्तर पहले की तुलना में काफी कम हुआ है और नदी के जल की गुणवत्ता पहले से काफी बेहतर हो गई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने पिछले दिनों बरगी, जबलपुर, तिलवारा घाट, पंचवटीघाट समेत मंडला से नरसिंहपुर तक मां नर्मदा के 13 पॉइंट के जल के सैंपल लेकर जांच की। जांच में नर्मदा इतनी शुद्ध पाई गई हैं कि आचमन करने से भी कतराने वाले वाले लोग अब नर्मदा के शुद्ध जल से आचमन कर सकते हैं। लॉकडाउन मां नर्मदा के लिए वरदान साबित हुआ है। बंद कारखानों, फूल-माला, दीपदान, लोगों द्वारा किए जाने वाले स्नान, घाटों पर कपड़ों की धुलाई और गंदगी का स्तर एक महीने में जीरो हो गया है। इस वजह से नर्मदा का जल स्वच्छ और निर्मल होकर बिल्कुल मिनरल वाटर जैसा हो गया है। नर्मदा का जल की शुद्धता का स्तर ए ग्रेड में पहुंच गया है।टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड) पानी में घुले ठोस पदार्थ इसमें खनिज, धातु, अनाज या अन्य पदार्थ शामिल होता है। सामान्यतः नर्मदा जल में इसकी मात्रा 200 से 350 मिलीग्राम प्रति लीटर मिलती थी। लॉकडाउन में अप्रैल 2020 में ये 150 से 200 मिलीग्राम प्रति लीटर मिली है। ये जितना कम होता है पानी उतना ही शुद्घ माना जाता है। इसी वजह से नर्मदा का पानी ए ग्रेड में आ गया है। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच के नतीजे बताते हैं कि वर्तमान में नर्मदा में टीडीएस की मात्रा लॉकडाउन के पहले के मुकाबले 30 फ़ीसदी तक घट गई है। मतलब साफ है कि अब नर्मदा का पानी मिनरल वाटर जैसा पीने पीने योग्य हो गया है।