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शरबती की पैदावार तो खूब हुई, पर लॉकडाउन के कारण यह बाकी राज्यों में नहीं जा पा रहा; किसानों को कीमत भी कम मिल रही


सीहोर। अपने खास स्वाद, सोने जैसी चमक और एक समान दाने के कारण पूरे देश में पहचान बनाने वाले शरबती गेहूं की इस बार सीहोर में बंपर पैदावार हुई है। पूरे मध्य प्रदेश का 50-60% शरबती गेहूं सीहोर में ही होता है। किसान खुश हैं कि इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार हुई, लेकिन इस बात से मायूस भी हैं कि कहीं लॉकडाउन के चलते शरबती का भाव कमजोर न रह जाए। यह मायूसी इसलिए क्योंकि हर साल सीहोरी शरबती गेहूं तमिलनाडु, गुजरात, चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश भेजा जाता है, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से इन राज्यों में गेहूं भेज पाना मुश्किल लग रहा है।

फिलहाल यहां की मंडियों में गेहूं की इस खास किस्म की कीमत 3300 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल चल रही है। आमतौर पर इसका भाव 4000 से 4500 तक होता है। सीहोर में शरबती के साथ-साथ बाकी किस्म का गेहूं भी अच्छा हुआ है। कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक, यहां इस बार गेहूं का कुल उत्पादन 13 लाख मीट्रिक टन पहुंच सकता है। पिछले साल जिले में 9 लाख मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार हुई थी। इस साल यहां करीब 2 लाख 90 हजार हेक्टेयर में गेहूं बोया गया। इसमें करीब 15-20% जमीन यानी 60 हजार हेक्टेयर पर शरबती गेहूं की बुआई हुई और इसका उत्पादन 1.5 लाख मीट्रिक टन रहा।
सबसे महंगा बिकता है शरबती
शरबती गेहूं की खासियत यह है कि इसकी चमक के साथ ही इसके दाने एक जैसे होते हैं। गेहूं की सभी किस्मों में यह सबसे महंगा बिकता है। लोकमन, मालवा शक्ति और अन्य किस्म के गेहूं जहां 2000 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल बिकते हैं, वहीं शरबती का न्यूनतम भाव ही 2800 रुपए होता है। यह आमतौर पर 3500 से 4500 रुपए तक बिकता है। 2018 में सीहोर जिले की आष्टा कृषि उपज मंडी में शरबती गेहूं 4701 रुपए क्विंटल बिका था।
क्यों खास है शरबती गेहूं?
देश में गेहूं की सबसे प्रीमियम किस्म शरबती ही है। इसे 'द गोल्डन ग्रेन' भी कहा जाता है, क्योकि इसका रंग सुनहरा होता है। यह हथेली पर भारी लगता है और इसका स्वाद मीठा होता है। इसलिए इसका नाम शरबती है। गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज जैसे सरल शर्करा की मात्रा अधिक होती है। सीहोर में इसकी सबसे ज्यादा पैदावार होती है। सीहोर क्षेत्र में काली और जलोढ़ उपजाऊ मिट्टी है, जो शरबती गेहूं के लिए सबसे बेहतर होती है।

प्रदेश में शरबती गेहूं सीहोर के साथ ही नरसिंहपुर, होशंगाबाद, हरदा, अशोकनगर, भोपाल और मालवा क्षेत्र के जिलों में बोया जाता है। प्रदेश सरकार शरबती गेहूं को ब्रांडनेम यानी भौगोलिक संकेतक (जीआई) दिलाने का प्रयास कर रही है। ब्रांडनेम मिलते ही प्रदेश के शरबती गेहूं के नाम से कोई कंपनी या संस्था अपना नाम नहीं दे पाएगी।

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