भोपाल। प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना संकट से उबारने में मध्यप्रदेश की एफएसएल ( फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) भी अहम भूमिका निभा रही है। एफएसएल में उपलब्ध अत्याधुनिक उपकरण, तकनीकी कौशल एवं प्रशिक्षित वैज्ञानिकों की टीम कोरोना जाँच में सहयोग कर रही है।
यहाँ यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश की एफएसएल, कोरोना टेस्टिंग में सहयोग देने वाली देश की पहली फोरेंसिक लैब है।
पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने प्रदेश के स्वास्थ्य संचालनालय से समन्वय बनाकर कोरोना वायरस की जाँच में प्रदेश की फोरेंसिक प्रयोगशालाओं से हर संभव सहयोग देने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश के एफएसएल निदेशक डॉ. हर्ष शर्मा ने बताया कि प्रदेश स्वास्थ्य निदेशालय के कोविड नियंत्रण कक्ष से सामजस्य कर प्रदेश एफएसएल की भोपाल व सागर स्थित डीएनए प्रयोगशालाओं में उपलब्ध उपकरणों को कोरोना टेस्टिंग में उपयोग के लिए दिया गया है। साथ ही एफएसएल के डीएनए वैज्ञानिक इन मशीनों से कोरोना टेस्ट में पूरी सहायता कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, स्वास्थ्य निदेशालय के कोविड सेल में कार्यरत विशेषज्ञों, सागर व भोपाल के डीएनए वैज्ञानिकों एवं कोरोना टेस्टिंग लैब के चिकित्सकों के बीच विस्तृत तकनीकी चर्चा के बाद इस व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया है। कोरोना टेस्ट में सहयोग के साथ-साथ एफएसएल वैज्ञानिक, प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग को सटीक व त्वरित बनाने में भी आवश्यक तकनीकी सहयोग व सुझाव दे रहे हैं।
क्षेत्रीय एफएसएल भोपाल में हाल ही में आरम्भ अत्याधुनिक डीएनए प्रयोगशाला के प्रभारी डा. अनिल सिंह के अनुसार किसी सेम्पल में कोरोना वायरस का टेस्ट आधुनिक उपकरण आरटी पीसीआर से किया जाता है। यही उपकरण फोरेंसिक प्रयोगशाला में डीएनए परीक्षण में उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया हालाँकि कोरोना वायरस आरएनए संरचना का होता है, परन्तु उपकरण में परीक्षण योग्य अन्य प्रकार की किट का उपयोग कर, इससे कोरोना वायरस का टेस्ट किया सकता है। श्री सिंह ने बताया कि तीन डीएनए वैज्ञानिक की टीम मेडीकल कालेज जाकर सतत रूप से कोरोना टेस्टिंग में सहयोग कर रही हैं। इन वैज्ञानिकों में डा. अनिल सिंह, डा. हीरक रंजन दास व डा. कमलेश कैथोलिया शामिल हैं।
सागर एफएसएल की डीएनए प्रयोगशाला के प्रभारी व विशेषज्ञ डा. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि सागर मेडीकल कालेज की कोरोना टेस्टिंग लैब के चिकित्सक व तकनीकी स्टाफ को एफएसएल की डीएनए लैब में प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया गया है। वे स्वयं और दो अन्य डीएनए वैज्ञानिक डा. प्रवीश भाटी व डा. डी.डी. बंसल सागर मेडीकल कालेज जाकर सतत रूप से कोरोना जांच में सहयोग कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश की राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) देश की सबसे पुरानी एवं सबसे प्रतिष्ठित फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में से एक है। प्रदेश की एफएसएल का शुरू से ही देश के फोरेंसिक मानचित्र पर अग्रणी स्थान रहा है। वर्तमान में सागर स्थित मुख्य प्रयोगशाला के साथ भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर तथा जबलपुर में क्षेत्रीय प्रयोगशालायें कार्यरत हैं। सतत प्रयासों से गत माह भोपाल में आधुनिक उपकरणों के सुसज्जित डीएनए लैब शुरू हुई है । इसमें कई महत्वपूर्ण उपकरणों के साथ ही, अत्याधुनिक उपकरण एनजीएस (नेक्सट जनरेशन सीक्वेंसर) भी शामिल है, जिसे देश में पहली बार किसी फोरेंसिक लैब में इन्सटाल किया गया है। यह वर्तमान में डीएनए परीक्षण की दुनिया की सबसे सटीक तकनीक है।
यहाँ यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश की एफएसएल, कोरोना टेस्टिंग में सहयोग देने वाली देश की पहली फोरेंसिक लैब है।
पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने प्रदेश के स्वास्थ्य संचालनालय से समन्वय बनाकर कोरोना वायरस की जाँच में प्रदेश की फोरेंसिक प्रयोगशालाओं से हर संभव सहयोग देने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश के एफएसएल निदेशक डॉ. हर्ष शर्मा ने बताया कि प्रदेश स्वास्थ्य निदेशालय के कोविड नियंत्रण कक्ष से सामजस्य कर प्रदेश एफएसएल की भोपाल व सागर स्थित डीएनए प्रयोगशालाओं में उपलब्ध उपकरणों को कोरोना टेस्टिंग में उपयोग के लिए दिया गया है। साथ ही एफएसएल के डीएनए वैज्ञानिक इन मशीनों से कोरोना टेस्ट में पूरी सहायता कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, स्वास्थ्य निदेशालय के कोविड सेल में कार्यरत विशेषज्ञों, सागर व भोपाल के डीएनए वैज्ञानिकों एवं कोरोना टेस्टिंग लैब के चिकित्सकों के बीच विस्तृत तकनीकी चर्चा के बाद इस व्यवस्था को अंतिम रूप दिया गया है। कोरोना टेस्ट में सहयोग के साथ-साथ एफएसएल वैज्ञानिक, प्रदेश में कोरोना टेस्टिंग को सटीक व त्वरित बनाने में भी आवश्यक तकनीकी सहयोग व सुझाव दे रहे हैं।
क्षेत्रीय एफएसएल भोपाल में हाल ही में आरम्भ अत्याधुनिक डीएनए प्रयोगशाला के प्रभारी डा. अनिल सिंह के अनुसार किसी सेम्पल में कोरोना वायरस का टेस्ट आधुनिक उपकरण आरटी पीसीआर से किया जाता है। यही उपकरण फोरेंसिक प्रयोगशाला में डीएनए परीक्षण में उपयोग किया जाता है। उन्होंने बताया हालाँकि कोरोना वायरस आरएनए संरचना का होता है, परन्तु उपकरण में परीक्षण योग्य अन्य प्रकार की किट का उपयोग कर, इससे कोरोना वायरस का टेस्ट किया सकता है। श्री सिंह ने बताया कि तीन डीएनए वैज्ञानिक की टीम मेडीकल कालेज जाकर सतत रूप से कोरोना टेस्टिंग में सहयोग कर रही हैं। इन वैज्ञानिकों में डा. अनिल सिंह, डा. हीरक रंजन दास व डा. कमलेश कैथोलिया शामिल हैं।
सागर एफएसएल की डीएनए प्रयोगशाला के प्रभारी व विशेषज्ञ डा. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि सागर मेडीकल कालेज की कोरोना टेस्टिंग लैब के चिकित्सक व तकनीकी स्टाफ को एफएसएल की डीएनए लैब में प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया गया है। वे स्वयं और दो अन्य डीएनए वैज्ञानिक डा. प्रवीश भाटी व डा. डी.डी. बंसल सागर मेडीकल कालेज जाकर सतत रूप से कोरोना जांच में सहयोग कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश की राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) देश की सबसे पुरानी एवं सबसे प्रतिष्ठित फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में से एक है। प्रदेश की एफएसएल का शुरू से ही देश के फोरेंसिक मानचित्र पर अग्रणी स्थान रहा है। वर्तमान में सागर स्थित मुख्य प्रयोगशाला के साथ भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर तथा जबलपुर में क्षेत्रीय प्रयोगशालायें कार्यरत हैं। सतत प्रयासों से गत माह भोपाल में आधुनिक उपकरणों के सुसज्जित डीएनए लैब शुरू हुई है । इसमें कई महत्वपूर्ण उपकरणों के साथ ही, अत्याधुनिक उपकरण एनजीएस (नेक्सट जनरेशन सीक्वेंसर) भी शामिल है, जिसे देश में पहली बार किसी फोरेंसिक लैब में इन्सटाल किया गया है। यह वर्तमान में डीएनए परीक्षण की दुनिया की सबसे सटीक तकनीक है।