मुंबई। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि मौद्रिक नीति की कुछ सीमाएं होती हैं, इसलिए ग्रोथ बढ़ाने के लिए ढांचागत सुधारों और वित्तीय उपायों की जरूरत है। दास का कहना है कि फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज, ट्यूरिज्म, ई-कॉमर्स, स्टार्टअप्स और ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्सा बनने के प्रयासों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली में सेंट स्टीफन कॉलेज के कार्यक्रम में यह चर्चा की। दास का बयान जीडीपी ग्रोथ में गिरावट और आने वाले बजट के संदर्भ में देखा जा रहा है। सितंबर तिमाही में ग्रोथ सिर्फ 4.5% रह गई, यह 6 साल में सबसे कम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। सरकार के सामने ग्रोथ बढ़ाने की चुनौती है।
राज्य भी पूंजी खर्च बढ़ाएं तो ज्यादा असर होगा: दास
आरबीआई गवर्नर का कहना है कि केंद्र सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च पर ध्यान दे रही है, इससे अर्थव्यवस्था की ग्रोथ बढ़ेगी। लेकिन, राज्यों को भी खर्च बढ़ाकर ग्रोथ में योगदान देना चाहिए, इससे कई गुणा असर होगा। दास ने कहा कि देश की संभावित ग्रोथ का अनुमान लगाना केंद्रीय बैंक के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। इसके बावजूद मांग में कमी, सप्लाई और महंगाई दर को देखते हुए राय रखी गई ताकि समय पर उचित नीतियां लागू की जा सकें।
आरबीआई ने वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए फैसले लिए
दास ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में कई देशों में ग्रोथ के ट्रेंड में बदलाव की वजह से दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियां बदल रही थीं। इस अनिश्चितता को देखते हुए आरबीआई ने भी अपने आकलन में लगातार बदलाव किया। इससे देश की जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती का अनुमान लगाने और ग्रोथ बढ़ाने के लिए रेपो रेट घटाने का फैसला लेने में मदद मिली।
ब्याज दरों पर आरबीआई की अगली बैठक फरवरी में होगी
जीडीपी ग्रोथ में सुस्ती को देखते हुए आरबीआई ने पिछले साल रेपो रेट में लगातार पांच बार कमी करते हुए कुल 1.35% कटौती की थी। दिसंबर की समीक्षा में ब्याज दरें स्थिर रखीं और सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.1% से घटाकर 5% कर दिया था। आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर अकोमोडेटिव नजरिया बरकरार रखा। यानी रेपो रेट में आगे कमी संभव है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की अगली बैठक 4-6 फरवरी को होगी।