मुंबई। शिवसेना सांसद संजय राउत ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अंडरवर्ल्ड सरगना करीम लाला के बीच मुलाकात को लेकर दिए बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा- इंदिरा गांधी अंडरवर्ल्ड सरगना करीम लाला से एक पठान नेता के तौर पर मिलती थीं। मैं पूर्व प्रधानमंत्री जवारलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का सम्मान करता हूं। एक मराठी अखबार को दिए इंटरव्यू में सांसद राउत ने कहा था कि इंदिरा गांधी, करीम लाला से और मैं दाउद इब्राहिम से मुलाकात कर चुका हूं।
इस बीच, 1960 से 1980 के दशक में मुंबई अंडरवर्ल्ड के सरगना रहे हाजी मस्तान के दत्तक पुत्र सुंदर शेखर ने संजय राउत के इंदिरा पर दिए बयान को सही ठहराया। शेखर ने कहा, "इंदिरा गांधी की करीम लाला से मुलाकात होती थी। कई अन्य नेता भी उनसे मिलने जाते थे। मेरे पिता हाजी मस्तान एक व्यापारी थे। बाला साहेब ठाकरे भी मेरे पिता के अच्छे मित्र थे।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेताओं से जवाब मांगा
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राउत के बयान पर कांग्रेस नेताओं से जवाब देने की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या कांग्रेस उस समय अंडरवर्ल्ड के भरोसे चुनाव जीतती थी, क्या कांग्रेस को अंडरवर्ल्ड से फाइनेंस मिलता था। संजय राउत ने खुलासा किया है कि उस समय 1960 से 1980 तक मुंबई के कमिश्नर की नियुक्ति अंडरवर्ल्ड करता था क्या यह सच है?’’
करीम लाला पठानों के नेता थे- राउत
इसके बाद राउत ने कहा, ‘‘करीम लाला से सभी राष्ट्रीय नेता आकर मिलते थे। वे अफगानिस्तान से आए पठानों के नेता थे। उनकी समस्या जानने के लिए नेता उनसे मिलते थे। इंदिरा गांधी जी भी एक पठान नेता के तौर पर उनसे मिलती थीं। करीम लाला के दफ्तर में कई नेताओं की फोटो लगी थी। करीम लाला, अब्दुल गफार खान के साथ भी काम करते थे।
कांग्रेस नेताओं ने सांसद राउत को घेरा
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने सांसद राउत के बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा- इंदिरा गांधी सच्ची देशभक्त थीं। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने कहा, ‘‘बेहतर होगा कि शिवसेना के मि. शायर दूसरों की हल्की-फुल्की शायरी सुनाकर महाराष्ट्र का मनोरंजन करते रहें। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के खिलाफ दुष्प्रचार करेंगे तो उन्हें पछताना पड़ेगा। उन्होंने इंदिरा जी के बारे में जो बयान दिया है वो वापस ले लें।’’
मैं मौत और जेल से कभी नहीं डरा: संजय राउत
- संजय राउत ने इंटरव्यू में कहा था, ‘‘आज अंडरवर्ल्ड में चिंदीगिरी होती है। हमने अंडरवर्ल्ड का वो समय देखा है, जब हाजी मस्तान मंत्रालय पहुंचता था तो लोग उसके स्वागत में बाहर आकर खड़े हो जाते थे। देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी मुंबई के पहले करीम लाला से पायधुनी इलाके में मिलने जाती थीं।’’
- ‘‘अगर इंसान में हिम्मत हो तो सामने भले ही प्रधानमंत्री हो या गृहमंत्री, उसे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता। मैं मेरी अब तक की जिंदगी में मौत और जेल से कभी भी नहीं डरा हूं। कुछ लोग तो मुझे गुंडा कहते हैं लेकिन मुझे बुरा नहीं लगता क्योंकि यह मेरे काम करने का तरीका है।’’
- ‘‘मुंबई में एक वक्त ऐसा था कि शहर में अंडरवर्ल्ड चलता था। अब उसका अस्तित्व ही नहीं रहा। पहले मुख्यमंत्री कौन होगा, सरकार किस की आएगी यह अंडरवर्ल्ड तय करता था। ऐसे वक्त मैंने अंडरवर्ल्ड के कई लोगों को देखा है। मैंने दाऊद से लेकर सब की तस्वीरें निकाली है। मौजूदा समय में दाऊद को देखे हुए, उस से बात किए हुए बहुत कम लोग हैं। लेकिन, मैंने दाऊद को देखा है और उससे बात भी की है। इतना ही नहीं मैंने उसे एक बार फटकारा भी था।’’
कौन था करीम लाला?
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था। उसका जन्म 1911 में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में हुआ था। उसे पश्तून समुदाय का आखिरी राजा भी कहा जाता है। लाला 21 साल की उम्र में मुंबई आया। यहां उसने हीरे-जवाहरात की तस्करी का काम शुरू किया। 1940 तक उसने इस काम में पकड़ बना ली थी। मुंबई पर करीम लाला ने करीब 30 साल तक एकतरफा राज किया। अंडरवर्ल्ड में 1981 से 1985 के बीच करीम लाला गैंग और दाऊद के बीच जमकर गैंगवार होती रही। इसके बाद दाऊद ने करीम लाला गैंग का सफाया किया और मुंबई पर अपना कब्जा जमाया। करीम लाला अकेला पड़ गया और 90 साल की उम्र में 19 फरवरी 2002 को मुंबई में ही करीम लाला की मौत हो गई थी। करीम लाला को पठानों का गॉडफादर भी कहा जाता है।
करीम लाला की हरींद्रनाथ चट्टोपाध्याय के साथ फोटो चर्चा में
करीम लाला की हरींद्रनाथ चट्टोपाध्याय के साथ फोटो काफी चर्चा में रही। हरींद्रनाथ संगीतकार, अभिनेता और कवि थे। वे पहली लोकसभा (1952-57) के सदस्य भी रहे थे। 1898 में तत्कालीन हैदराबाद रियासत (अब तेलंगाना) में पैदा हुए हरींद्रनाथ सरोजिनी नायडू के छोटे भाई थे। उन्होंने ‘साहब, बीवी और गुलाम’, ‘तीन देवियां’, ‘आशीर्वाद’ और ‘बावर्ची’ समेत 24 फिल्मों में काम किया। 1973 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया। 1990 में हरींद्रनाथ का निधन हो गया।