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बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा ने सीएए को अच्छा बताया; कहा- विदेशों में सताए मुस्लिमों को भी इसमें शामिल करें


कोझीकोड। बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून बहुत ही अच्छा और उदार कानून है। इसमें पड़ोसी देशों में सताए गए मुस्लिमों, मुक्त विचारकों और नास्तिक लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। केरल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन तसलीमा ने कहा, “यह कानून इसलिए अच्छा है, क्योंकि इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सताए गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। मेरे जैसे लोग भी नागरिकता पाने का हक रखते हैं। हमें भी भारत में रहने का हक है। सीएए अच्छा विचार है।”

तसलीमा ने यह भी कहा, “इस्लाम को अधिक लोकतांत्रिक और सुसंस्कृत होना चाहिए। हमें खुले रूप से सोचने और ज्यादा विचारकों की जरूरत है। समान नागरिक संहिता धर्म पर नहीं, बल्कि समानता पर आधारित होनी चाहिए।” तसलीमा ने उन बांग्लादेशी ब्लॉगर्स का भी जिक्र किया, जिन्हें कट्‌टरपंथियों ने मार दिया था। उन्होंने कहा, “कई ब्लॉगर्स अपनी जान बचाने के लिए यूरोप और अमेरिका चले गए। वे भारत क्यों नहीं आ सकते? आज भारत को मुस्लिम समुदाय के स्वतंत्र, धर्मनिरपेक्षवादी और नारीवादी विचारकों को रखने की जरूरत है।”
तसलीमा 1994 से भारत में रह रही हैं
लेखिका ने कहा, “सीएए का विरोध कर रहे कट्‌टरपंथियों को बाहर किया जाना चाहिए। कट्‌टरपंथी चाहे अल्पसंख्यक समुदाय से हों या बहुसंख्यक समुदाय से, दोनों ही खतरनाक होते हैं। इसकी निंदा की जानी चाहिए। मैंने हमेशा भारत को अपना घर माना है। लोग मुझसे कहते हैं कि मैं विदेशी हूं, हालांकि मैं हमेशा इसे घर कहती हूं। मैं तब तक भारत में रहूंगी, जब तक यहां रह सकती हूं।” 1994 में कट्‌टरपंथियों की ओर से जान से मारने का फतवा जारी करने के बाद तसलीमा भारत आ गई थीं। तबसे वह भारत में ही रह रही हैं। इसी साल अप्रैल में उनकी पुस्तक ‘शेमलेस’ प्रकाशित होगी, जो ‘लज्जा’ का ही अगला भाग है। 

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