न्यूयॉर्क। चीन के दबाव में कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक बुलाई गई। यह बैठक बुधवार रात में होगी। यूएनएससी की इस 'क्लोज्ड डोर मीटिंग' में सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों के अलावा किसी को शामिल नहीं किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, फ्रांस ने बैठक से पहले ही इस मुद्दे पर अपना रुख साफ कर दिया। उसने कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाने पर जोर दिया है।
फ्रांस ने कहा- हमें जानकारी मिली है कि यूएनएससी के एक सदस्य की तरफ से दोबारा कश्मीर मुद्दे पर चर्चा कराने का प्रस्ताव लाया गया है। इस मामले में फ्रांस का रुख स्पष्ट है। हम पहले भी कई बार कह चुके हैं कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए। हम यूएनएससी में शामिल सदस्यों से यही बात दोबारा कहेंगे।
यह सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक
यूएनएससी की इस बैठक में भारत और पाकिस्तान शामिल नहीं हो सकेंगे, क्योंकि क्लोज्ड डोर मीटिंग में केवल स्थाई सदस्यों को ही शामिल होने की इजाजत होती है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन यूएनएसी के स्थाई सदस्य हैं। इस बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया जाएगा, क्योंकि इस तरह की बैठकें अनौपचारिक मानी जाती हैं।
पिछली बैठक में पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने इस बैठक के लिए दबाव बनाया। अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद भी चीन ने इस मुद्दे पर यूएनएससी की बैठक बुलाई थी। हालांकि, तब चीन और पाकिस्तान को इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ, क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इसे भारत का आंतरिक मुद्दा करार देते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया था। इसके बाद दिसंबर में भी चीन ने कश्मीर पर चर्चा कराने के लिए बैठक का आग्रह किया था, लेकिन तब बैठक नहीं हुई।
चीन के अलावा सभी सदस्य भारत के साथ
यूएनएससी में 5 स्थाई सदस्य देश हैं, जबकि 10 निर्वाचित सदस्यों का निश्चित कार्यकाल होता है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन इसके स्थाई सदस्य हैं। चीन के अलावा बाकी 4 सदस्य देश कश्मीर मुद्दे पर दखल देने से इनकार करते रहे हैं। भारत सरकार के रुख का समर्थन करते हुए इन देशों ने सभी विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने को कहा है।
मोदी की मुस्लिम विरोधी मुहिम से चिंतित: यूएनएचआर
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुस्लिम विरोधी मुहिम से चिंतित हैं। मंगलवार को रोथ ने कहा, “हम कश्मीर में मोदी सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति से बेहद चिंतित हैं। असम में उनकी कार्रवाई और हाल ही में मुस्लिमों से भेदभाव करने वाले नागरिकता कानून को लागू किए जाने से हमारी चिंता और बढ़ गई है।” रोथ ने कहा कि भारत में मोदी सरकार लगातार इस तरह की नीतियां लागू कर रही है, जो मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हैं।