चाईबासा। झारखंड के चाईबासा जिले में पत्थलगड़ी का विरोध करने पर 7 लोगों की हत्या कर दी गई। पत्थलगड़ी समर्थकों ने इन सभी को पश्चिमी सिंहभूम के गुलीकेरा गांव से रविवार को अगवा कर लिया था। एडीजी मुराली लाल मीना ने बुधवार को बताया कि 19 घंटे के सर्च ऑपरेशन के दौरान अति नक्सल प्रभावित गुलीकेरा गांव से 3 किलोमीटर दूर जंगल में शव मिले। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, सरकार बनने के बाद उन्होंने पत्थलगड़ी समर्थकों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने की बात कही थी।
पुलिस के मुताबिक, पत्थलगड़ी समर्थकों ने रविवार को गांव में बैठक की थी। पत्थलगड़ी का विरोध करने पर उपमुखिया जेम्स बूढ़ समेत 7 लोगों की पिटाई की। इसके बाद पत्थलगड़ी समर्थक सातों को उठाकर जंगल की ओर ले गए। जब ये लोग नहीं लौटे तो सोमवार को उनके परिजन ने गुदड़ी थाने में शिकायत दर्ज कराई। मंगलवार दोपहर पुलिस को सूचना मिली कि अगवा लोगों की हत्या कर शव जंगल में फेंक दिए गए हैं। इसके बाद पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू किया। झारखंड में पत्थलगड़ी के समर्थन में अब तक कई घटनाएं हो चुकी हैं। लेकिन यह सबसे बड़ी वारदात है।
पत्थलगड़ी क्या है?
पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है। इसमें झारखंड के कुछ आदिवासी इलाकों में पत्थलगड़ी कर ग्राम सभाओं के सर्व शक्तिशाली होने का ऐलान किया जाता है। लेकिन असमाजिक तत्व अब इसके प्रारूप में बदलाव कर गांव के बाहर पत्थलगड़ी कर रहे हैं। इसके तहत एक बड़े चपटे पत्थर को जमीन पर गाड़ा जाता है। इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेदों (आर्टिकल) की गलत व्याख्या करते हुए ग्रामीणों को सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए उकसाया जाता है। सरकारी सुविधाओं और बच्चों के स्कूल जाने तक का विरोध किया जाता है। कानून को दरकिनार करते हुए पंचायत कर लोगों को सजा सुनाई जाती है। पत्थलगड़ी समर्थक पारंपरिक हथियारों के साथ गांव के बाहर पहरा देते हैं। इन गावों में पुलिस या किसी भी नए आदमी को नहीं घुसने दिया जाता है।