जम्मू। केंद्र सरकार के 36 मंत्री जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं। राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के 5 महीने बाद लोगों को आश्वस्त करने और उनकी बात सुनने का यह केंद्र सरकार का सबसे बड़ा अभियान माना जा रहा है। मंत्रियों का मकसद भी जम्मू-कश्मीर के लोगों को यही बताना है कि केंद्र ने जो भी कदम उठाया, वह उन्हें ध्यान में रखते हुए ही उठाया। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी श्रीनगर में लोगों से कहा कि 370 हटने का सकारात्मक असर लोगों की जिंदगियों पर पड़ेगा और कश्मीर विकास की नई राह पर आगे बढ़ेगा।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में बंद जैसे हालात हैं। कई प्रतिबंध भी लागू हैं और इंटरनेट पर बैन बरकरार है। इंटरनेट पर से बैन कब हटेगा? इस सवाल पर नकवी ने कहा कि यहां माहौल शांत है। किसी भी नागरिक की जान नहीं गई है। ऐसे में इंटरनेट से बैन कब हटाया जाए, इसका फैसला स्थानीय प्रशासन ही लेगा।
कश्मीर से ज्यादा फोकस जम्मू पर, सवाल उठा तो नकवी बोले- यह महज शुरुआत
केंद्र सरकार का फोकस कश्मीर से ज्यादा जम्मू पर नजर आ रहा है। 60 जगहों पर मंत्री जाएंगे। इनमें से जम्मू में 52 और कश्मीर के तीन जिलों में 8 जगहों पर लोगों और अधिकारियों से बातचीत होगी। जब मुख्तार अब्बास नकवी से पूछा गया कि जम्मू पर ज्यादा फोकस है, कश्मीर पर कम? उन्होंने अल्लामा इकबाल का शेर पढ़ा "सितारों से आगे जहां और भी हैं, अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं।" अभी यह शुरुआत है, लोगों से मुलाकात के ऐसे कई दौर और अभियान आगे होने वाले हैं।
5 साल में 10 लाख छात्रों को स्कॉलरशिप देगी सरकार
नकवी बुधवार को श्रीनगर से 20 किलोमीटर दूर हारवन इलाके में गए। यहां 400 लोगों की सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा- 370 से हटने का सकारात्मक असर लोगों की जिंदगियों पर पड़ेगा। नए बदलाव से तरक्की और खुशहाली जम्मू-कश्मीर में लौट आएगी। जम्मू-कश्मीर के एक लाख छात्रों को केंद्र स्कॉलरशिप देगी। अगले 5 साल में 10 लाख छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाएगी। सरकार का जोर है कि जम्मू-कश्मीर से बेरोजगारी दूर हो और यहां का औद्योगिक विकास हो।
मुलाकात के दौरान नकवी के सामने लोगों ने जमीन और नौकरियां जाने की आशंका जाहिर की। उन्होंने कहा कि डोमेसाइल सर्टिफिकेट भी बनाया जाए।
दौरे से नाखुश राजनीतिक दलों ने कहा- यह पब्लिसिटी स्टंट
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मंत्रियों के दौरे का विरोध किया। पार्टी ने कहा कि तीन मुख्यमंत्री नजरबंद हैं। ऐसे में इस दौरे का कोई औचित्य नहीं है। पार्टी ने कहा कि मंत्री जिन लोगों से मिल रहे हैं, वे उनके अपने ही नेता और कार्यकर्ता हैं। ऐसे में इस दौरे का क्या मतलब है? उधर, भाजपा का कहना है कि इस दौरे के पीछे कोई एजेंडा नहीं है। मंत्री सभी से मुलाकात करेंगे।
कश्मीर के कुछ नेता और लोग मंत्रियों के दौरे से नाखुश हैं। जम्मू स्थित पैंथर्स पार्टी का कहना है कि इस दौरे से कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा। यह पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा कुछ नहीं है। पार्टी के नेता हर्षदेव सिंह का कहना है कि एक तरफ जम्मू-कश्मीर में कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं और इंटरनेट भी बंद है और दूसरी ओर मंत्रियों के दौरे के ड्रामा रचा जा रहा है। लोगों को नौकरी और जमीनें जाने की फिक्र है। इस संंबंध में सरकार को लोगों को आश्वासन देना चाहिए। जम्मू-कश्मीर सरकार के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, दूसरी तरफ मंत्रियों पर बेतहाशा खर्च किया जा रहा है।