नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण को दिल्ली की अदालत ने जमानत दे दी है। अदालत ने चंद्रशेखर को निर्देश दिए हैं कि वे 16 फरवरी तक दिल्ली में कोई भी प्रदर्शन न करें। चंद्रशेखर को 21 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने आरोप लगाए थे कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए, जिसके बाद दरियागंज में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की। भीम आर्मी चीफ 20 दिसंबर को जामा मस्जिद में हुए प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे।
सबूत न पेश कर पाने पर कोर्ट दिल्ली पुलिस से नाराज
तीस हजारी कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पुलिस के रवैये पर नाराजगी जाहिर करते हुए सबूत पेश करने को कहा था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिल्ली पुलिस का व्यवहार ऐसा है, जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो।चंद्रशेखर को 21 दिसंबर 2019 को दरियागंज इलाके से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का आरोप था कि चंद्रशेखर ने भड़काऊ बयान दिए, जिसके बाद प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई। हालांकि, चंद्रशेखर ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्होंने भड़काऊ भाषण दिया, इसका कोई सबूत नहीं है। आरोपों के संदर्भ में कोई सबूत पेश न कर पाने पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से नाराजगी जाहिर की।
कोर्ट की टिप्पणियां
पाकिस्तान में भी प्रदर्शन कर सकते हैं: कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा- आप इस तरह व्यवहार कर रहे हैं, जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो। अगर ऐसा है, तो आप वहां भी जाकर प्रदर्शन कर सकते हैं। वह अविभाजित भारत का हिस्सा है।
सबूत दें चंद्रशेखर ने भड़काऊ भाषण दिया : कोर्ट ने कहा, "दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी हर उस सबूत को रिकॉर्ड में लाएं, जो यह साबित करते हों कि चंद्रशेखर रावण ने जामा मस्जिद पर प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण दिया। यह भी बताएं कि कोई ऐसा कानून है, जो उस जमावड़े को असंवैधानिक साबित करता हो।'
क्या दिल्ली पुलिस इतनी पिछड़ी है : पुलिस ने जब कोर्ट से कहा कि हमने केवल ड्रोन से तस्वीरें ली हैं और कोई रिकॉर्डिंग नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा- क्या आप सोचते हैं कि दिल्ली पुलिस इतनी पिछड़ी है कि उसके पास रिकॉर्डिंग के उपकरण भी नहीं हैं।
क्या आपने संविधान पढ़ा है : जज कामिनी लाऊ ने कहा- मुझे कोई भी ऐसी चीज या ऐसा कानून बताइए, जो इस तरह के जमावड़े को रोकता हो। हिंसा कहां है? कौन कहता है कि आप प्रदर्शन नहीं कर सकते.. क्या आपने संविधान पढ़ा है। प्रदर्शन नागरिक का संवैधानिक अधिकार है।
कोई मुद्दा उठाएं तो रिसर्च करें : कोर्ट ने कहा- आजाद कानून का छात्र है। वह कोर्ट के भीतर भी प्रदर्शन कर सकता है। वह एक अंबेडकरवादी है। अंबेडकर मुस्लिम, सिखों और मूलरूप से समाज के दबे-कुचले वर्ग के करीब थे। अंबेडकर अपनी तरह के विद्रोही थे। हो सकता है कि आजाद क्या कहना चाहता है, इसका एक धुंधला सा विचार उसके पास हो... पर वो सही तरीके से इसे रख न पा रहा हो। अगर आप (चंद्रशेखर) कोई मुद्दा उठाते हैं तो आपको रिसर्च करनी चाहिए और वह यहां नहीं हुई।
संसद के सामने प्रदर्शन करने वाले मंत्री बने: कोर्ट ने कहा- संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन करने वाले लोग बड़े नेता और मंत्री बनते देखे गए हैं। चंद्रशेखर भी उभरते हुए नेता हैं। उन्हें भी प्रदर्शन का हक है। आजाद की सोशल मीडिया पोस्ट में हिंसा जैसी कोई बात नहीं है? उन्होंने हिंसा भड़काई, इसके क्या सबूत हैं।