वॉशिंगटन। अमेरिकी संसद के उच्च सदन- सीनेट में राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर 13 घंटे सुनवाई हुई। स्थानीय समयानुसार सुनवाई मंगलवार को दोपहर 1 बजे शुरू हुई थी, यह बुधवार देर रात 2 बजे खत्म हुई। पहले दिन सांसदों के बीच सुनवाई के नियम तय करने पर बहस हुई। विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी की मांग थी कि सीनेट में उन्हें ज्यादा सबूत और गवाह पेश करने की छूट दी जाए। हालांकि, ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी ने उनकी मांग को ठुकरा दिया। नए गवाह पेश करने की अनुमति के पक्ष में 47 वोट पड़े, जबकि इसके खिलाफ में 53 सांसदों ने वोटिंग की। इस तरह सीनेट में डेमोक्रेट्स की मांग ठुकरा दी गई।
महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई में आगे क्या?
सीनेट में तय हुए नियमों के मुताबिक, अब दोनों पक्षों को शुरुआती बहस के लिए 24-24 घंटे का समय दिया जाएगा। यह प्रक्रिया वॉशिंगटन में बुधवार दोपहर (भारत में देर रात) को शुरू होगी। बहस अगले हफ्ते तक खत्म हो सकती है। इसके बाद सीनेटर्स (सांसदों) को गवाहों से सवाल पूछने के मौके दिए जाएंगे। इस प्रक्रिया के लिए 16 घंटे दिए जाएंगे।
डेमोक्रेट्स की कौन सी मांग नहीं मानी गईं?
ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने वाली डेमोक्रेट पार्टी व्हाइट हाउस में ट्रम्प के करीबियों को पूछताछ के लिए बुलाना चाहती थी। पार्टी ने कार्यवाहक चीफ ऑफ स्टाफ मिक मुलवेनी और पूर्व नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर जॉन बोल्टन की गवाही की मांग की थी। इसके अलावा सीनेट में डेमोक्रेट नेता चक शुमर ने ट्रम्प की यूक्रेन समझौते से जुड़ी फाइलें व्हाइट हाउस से लाकर सीनेट में पेश करने की मांग की थी। हालांकि, रिपब्लिकन सांसदों ने दोनों मांगें ठुकरा दीं।
ट्रम्प पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने दो डेमोक्रेट्स और अपने प्रतिद्वंद्वी जो बिडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने पक्ष में यूक्रेन से विदेशी मदद मांगी थी। ट्रम्प पर दूसरा आरोप है कि उन्होंने व्हाइट हाउस के अपने साथियों को संसद के निचले सदन- हाउज ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में गवाही देने से रोका। जांच कमेटी के सदस्यों ने कहा था कि ट्रम्प ने राष्ट्रपति पद की गरिमा को कमजोर किया। उन्होंने अपने पद की शपथ का भी उल्लंघन किया।