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गोवा में जीएसटी काउंसिल में वाणिज्यकर मंत्री श्री बृजेंद्र सिंह राठौर हुए शामिल


भोपाल।  वाणिज्यकर मंत्री श्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने गोवा राज्य में आज सम्पन्न हुई 37वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में मध्यप्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व किया। श्री राठौर ने अनेक बिंदुओं पर राज्य सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा।

प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश की ओर से श्री राठौर ने बताया कि राज्यों को जीएसटी के लगाए जाने से होने वाले नुकसान की भरपाई कंपनसेशन सेस के माध्यम से की जाती है। वित्त आयोग का सुझाव था कि इस कंपनसेशन की राशि को कम करने के बारे में विचार किया जाए। इस पर श्री राठौर ने कहा कि जून 2022 तक कंपनसेशन की राशि को यथावत रखा जाए और भविष्य में इस पर जून 2022 के बाद पुनः विचार किया जा सकता है।

काउंसिल के समक्ष यह विचार था कि सोना चांदी और रत्न आभूषण आदि के परिवहन पर ई वे बिल को लागू किया जाए अथवा नहीं लागू किया जाए। इस बिंदु पर प्रदेश की ओर से मंत्री ने बताया कि इन महंगी धातु और रत्न आभूषणों को जब परिवहन किया जाएगा तो उसके लिए वर्तमान सीमा रुपए 50000 बहुत कम है अतः इस सीमा को रुपए 50000 से बढ़ाकर रुपए 500000 कर दिया जाए तथा ईवे बिल के प्रावधान केवल अंतर राज्य विक्रय के लिए लागू किए जाएं अर्थात जब सोना चांदी और रत्न आभूषण आदि एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हैं तब तो ई वे बिल की आवश्यकता हो परंतु यदि इन मार्लों का परिवहन राज्य के अंदर ही अंदर होता है तो इस पर e-way बिल लागू नहीं किया जाए।

तीसरा सबसे प्रमुख बिंदु यह था कि जीएसटी के नियमों के अनुसार यदि राज्य शासन या उनकी कोई एजेंसी किसी भूमि को इंडस्ट्रियल प्लॉट के रूप में किसी उद्योग को अथवा किसी प्लॉट को वित्तीय कार्यों के करने के लिए डिवेलप करने के लिए देती है तो ऐसे लीज पर दी गई भूमि पर लीज रेंट पर जीएसटी से छूट है। इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश की ओर से मंत्री श्री राठौर ने कहा कि वर्तमान समय लिबरलाइजेशन का समय है जहाँ शासन निजी व्यावसायिक संस्थानों को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करने और सुविधाप्रदाता की महत्वपूर्ण भूमिका में है। वहाँ यह आवश्यक है कि प्राइवेट एंटिटीज को व्यवसायिक संस्थानों को भी आगे बढ़कर शासन को सहयोग करना होता है। ऐसी स्थिति में यदि शासन अथवा शासकीय संस्था किसी भूमि को प्राइवेट एंटिटी अथवा व्यवसायिक संस्थानों को टूरिज्म होटल होटल रिसोर्ट अथवा इंडस्ट्रियल पार्क आदि के निर्माण के लिए लीज पर देती है तो ऐसी लीज के रेंट पर भी जीएसटी से मुक्ति होनी चाहिए।

प्रमुख रूप से अंतिम बिंदु होटलों के किराए को घटाने के बारे में मंत्री ने बताया कि प्रायः होटलों में कमरे खाली पड़े रहते हैं और भारतीय लोग महंगे होटल होने के कारण विदेशों के टूर करने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। उनके द्वारा यह प्रस्ताव का समर्थन किया गया कि 7500 रुपए से अधिक प्रतिदिन किराए वाले होटल पर टैक्स की दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत कर दी जाए और 1000 से 7500 रुपए तक के होटलों के लिए कर की दर 12 प्रतिशत कर दी जाए तथा 1000 रुपये से नीचे के प्रतिदिन की होटलों को कर मुक्त रखा जाए।

इस प्रकार मंत्री श्री राठौर ने 4 वार्षिक विवरण पत्र को प्रस्तुत करने में आने वाली कठिनाइयों से जी एस टी कॉन्सिल को अवगत करवाते हुए इसके सरलीकरण की बात कही गई, जिसे कौंसिल ने बहुत गंभीरता से लिया।

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