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सऊदी ने तेल संयंत्र पर हमले में इस्तेमाल ड्रोन के टुकड़े दिखाए, साजिश में ईरान का हाथ बताया


रियाद। सऊदी अरब ने अरामको कंपनी के तेल संयंत्र पर हमले के पीछे ईरान का हाथ बताया है। सऊदी रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को रिफाइनरी पर हमले में इस्तेमाल हुई मिसाइलों और ड्रोन के टुकड़े मीडिया के सामने पेश किए। साथ ही दावा किया कि जिस दिशा से ड्रोन आए, उससे तय है कि हमला यमन की तरफ से नहीं हुआ।

पिछले हफ्ते अरामको के तेल संयंत्र पर हुए हमले की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली थी। हालांकि, तब भी अमेरिका ने इसके पीछे ईरान का हाथ होने की बात कही थी। लेकिन इसके कोई सबूत नहीं पेश किए थे। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी हमले में हाथ होने से इनकार किया था। 

अमेरिकी मीडिया ग्रुप सीबीएस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने पिछले हफ्ते ही सऊदी तेल संयंत्रों पर हमलों को मंजूरी दी थी। रिपोर्ट में जानकारी के स्रोत के बारे में नहीं बताया गया, हालांकि एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ट्रम्प प्रशासन के पास कुछ सैटेलाइट फोटो हैं, जिनमें ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड्स को अहवाज एयरबेस पर हमले की तैयारी करते देखा गया।

अमेरिका के शुरुआती दावों के बावजूद सऊदी ने करीब एक हफ्ते तक हमलों पर कोई बयान नहीं जारी किया था। हालांकि, बुधवार को एक प्रेजेंटेशन में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल तुर्की अल-मल्की ने सबूत दिखाते हुए कहा कि हमलों के पीछे ईरान का हाथ है। उन्होंने कहा कि हमारी जांच में यह तय हो गया है कि हमला ईरान की तरफ से हुआ। हमने लॉन्च पॉइंट का भी पता लगा लिया है। 

सऊदी ने जिन हथियारों को पेश किया, उनमें एक ईरानी मानवरहित विमान (यूएवी) का मलबा भी था। कर्नल मल्की ने कहा कि यूएवी के कम्प्यूटर से जो डेटा मिला है उससे इसके ईरानी होने की पुष्टि हुई है। इसके अलावा उन्होंने दिशा बताने वाले कुछ फोटोग्राफ्स और मैप भी पेश किया। इसके जरिए उन्होंने दावा किया कि हमले में हूतियों का नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक इस्तेमाल करने वाले ईरानियों का ही हाथ था। 

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