न्यूयॉर्क। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कहा कि उनके देश ने 9/11 हमले के बाद अमेरिका का साथ देकर सबसे बड़ी भूल की। उन्होंने जनरल परवेज मुशर्रफ के अमेरिका का साथ देने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि पिछली सरकारों को वैसे वादे करने ही नहीं चाहिए थे, जो वह पूरे नहीं कर सके।
इमरान ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका द्वारा छेड़ी गई जंग में 70 हजार पाकिस्तानी मारे गए। इसके बावजूद अफगानिस्तान में अमेरिका की जीत हासिल नहीं करने पर हमें जिम्मेदार ठहराया गया। 1980 के दशक में तत्कालीन सोवियत संघ से लड़ने के लिए कई समूहों को प्रशिक्षित किया गया था। बाद में अमेरिका जब अफगानिस्तान में लड़ने आया तो उन गुटों को आतंकवादी घोषित कर दिया।
‘अफगानिस्तान में शांति वार्ता के लिए ट्रम्प से बात करेंगे’
पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में कोई भी सैन्य समाधान नहीं हो सकता। हम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से फिर से शांति वार्ता शुरू करने के लिए कहेंगे। अगर आप 19 साल तक सफल नहीं हो पाए तो अगले 19 साल में भी कामयाब नहीं हो पाएंगे।
अब तक के सबसे बुरे हालातों में मिली अर्थव्यवस्था- इमरान
इमरान ने कहा कि उनकी सरकार को देश की अर्थव्यवस्था अब तक की सबसे बुरी हालात में मिली। इसलिए सरकार को पहले साल काफी संघर्ष करना पड़ा। चीन पहला देश था, जिसने हमारी मदद की थी। पाक प्रधानमंत्री ने आर्थिक मदद के लिए चीन को धन्यवाद भी दिया।