भोपाल। मन्दसौर में अत्यधिक बारिश होने तथा कोटा बैराज से पानी छोड़े जाने से भिण्ड जिले में चंबल नदी उफान पर है। इससे अटेर और भिण्ड क्षेत्र के चंबल नदी के किनारे बसे 44 गाँव प्रभावित हो रहे हैं। चम्बल नदी का जल-स्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा प्रभावित गाँव मुकुटपुरा, दिन्नपुरा नावली वृन्दावन, रमा कोट, खैराहट, नखनोली की मढ़ैयन, कोसण की मढ़ैयन, चीलोंगा, चौमहो, कछपुरा, तरशोखर हैं। इन गाँव में फँसे लोगों को प्रशासन द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर राहत शिविरों में पहुँचाया जा रहा है। बाढ़ग्रस्त गाँवों में प्रशासन द्वारा बार-बार समझाने पर भी कई लोग गाँव छोड़ कर जाने से इन्कार कर रहे हैं।
अभी तक गाँव नखनोली, रमाकोट, कोषण, नावली वृन्दावन, मुकुटपुरा चौमहो, कछपुरा, तरशोखर एवं दिन्नपुरा से लगभग 1900 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। रेस्क्यू किए गए 900 से ज्यादा लोगों को जिला प्रशासन द्वारा बनाये गए राहत शिविरों में पहुँचा दिया गया है। बाकी बचे लोग अपने रिश्तेदारों और मिलने वालों के यहाँ सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। जिला प्रशासन, होमगॉर्ड, सेना और एसडीआरएफ द्वारा लगातार लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।
कलेक्टर भिण्ड श्री छोटे सिंह और पुलिस अधीक्षक श्री रुडोल्फ अल्वारेस बाढ़ की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। ये अधिकारी बाढ़ प्रभावित स्थानों पर चलाए जा रहे रेस्क्यू आपरेशन में स्वयं मौजूद रह कर स्थिति पर पकड़ बनाये हुए हैं। साथ ही राहत शिविरों में सभी व्यवस्थाओं की निरंतर मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं।
राहत शिविरों में किये गये सभी जरूरी इंतजाम
जिला प्रशासन द्वारा रोशनलाल दैपुरिया महाविद्यालय सुरपुरा, हाईस्कूल विण्डवा , आईटीआई अटेर, मघेरा, हाई स्कूल रमाकोट में बनाये गये राहत शिविरों में लाये गए लोगों के लिये भोजन, पानी, सोने की व्यवस्था आदि आवश्यक इन्तजाम खाद्य विभाग द्वारा किए जा रहे हैं। सभी राहत शिविरों में मेडिकल टीमें पूरी तैयारी के साथ तैनात हैं। पशुओं के ईलाज के लिये पशु चिकित्सक तैनात किये गये हैं।
शासकीय अधिकारियों- कर्मचारियों की छुट्टियाँ निरस्त
कलेक्टर ने सभी शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों की छुट्टियाँ तत्काल प्रभाव से निरस्त कर सभी को कार्य पर लौटने का आदेश जारी कर दिया है। आपदा प्रबंधन से जुड़े कर्मचारी, अधिकारी पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। होमगार्ड्स को नाव, बोट सहित सभी सुरक्षा साधन उपलब्ध कराये गये हैं। जल संसाधन और सेतु विकास निगम के सुरक्षा अधिकारी और राजस्व का पूरा अमला इस मुहिम में लगा हुआ है और लगातार मोबाइल, दूरभाष सहित वायरलैस से आपस में सम्पर्क में बने हुए हैं।