मुंबई। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) फ्लोटिंग रेट वाले एमएसएमई, हाउसिंग और रिटेल लोन को 1 अक्टूबर से रेपो रेट से जोड़ेगा। आरबीआई ने 4 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी कर सभी बैंकों को ब्याज दरें रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्च से जोड़ने के निर्देश दिए थे। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है। लोन की दरें इससे जुड़ेंगी तो ग्राहकों को ब्याज दर में कटौती का फायदा जल्द मिलेगा। एसबीआई समेत अन्य बैंकों के लोन फिलहाल एमसीएलआर बेस्ड हैं। इसमें एक साल का रीसेट पीरियड होता है। इसके तहत पुराने ग्राहकों को रीसेट डेट के बाद ही घटी हुई ब्याज दर का फायदा मिलता है। एसबीआई ने हालांकि, होम लोन को 1 जुलाई से ही रेपो रेट से लिंक कर दिया था। लेकिन, अब 1 अक्टूबर से कुछ बदलावों के साथ नए सिरे से लागू किया जाएगा।
3 महीने में कम से कम 1 बार ब्याज दरें रीसेट करनी होंगी
आरबीआई ने कहा था कि बैंकों का मौजूदा मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) फ्रेमवर्क संतोषजनक नहीं है। आरबीआई इस साल रेपो रेट में 110 बेसिस प्वाइंट यानी 1.10% कटौती कर चुका है। लेकिन, बैंकों ने ग्राहकों को सिर्फ 40 बेसिस प्वाइंट यानी 0.40% का फायदा दिया है। आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक बैंक रेपो रेट के अलावा 3 महीने या 6 महीने की ट्रेजरी बिल यील्ड या फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा निर्धारित कोई अन्य बेंचमार्क दर से भी ब्याज दरों को जोड़ सकते हैं। बाहरी बेंचमार्क से लिंक करने के बाद बैंकों को ब्याज दरें 3 महीने में कम से कम 1 बार रीसेट करनी होंगी।