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अमेरिका में भारत के राजदूत बोले- ट्रम्प ने कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव पेश ही नहीं किया

वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने साफ कर दिया है कि कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव पेश ही नहीं किया गया। अमेरिका में भारत के राजदूत हर्षवर्धन शृंगला ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी। एक अमेरिकी चैनल को दिए इंटरव्यू में शृंगला ने कहा- ट्रम्प कह चुके हैं कि जम्मू-कश्मीर पर मध्यस्थता तभी स्वीकार्य होगी जब वह भारत-पाकिस्तान दोनों को स्वीकार्य हो। भारत पहले ही मध्यस्थता की बात को अस्वीकार कर चुका है। लिहाजा अमेरिका की तरफ से इसका प्रस्ताव रखा ही नहीं गया।

शृंगला के मुताबिक, अमेरिका की दशकों पुरानी नीति यही रही है कि वह कश्मीर मसले पर मध्यस्थता नहीं करेगा। हालांकि वह (अमेरिका) भारत-पाक को इस बात के लिए प्रोत्साहित जरूर करेगा कि दोनों देश द्विपक्षीय तरीके से मसले का हल निकाल लें।

शृंगला ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करना हमारा आंतरिक मामला है। यह किसी सीमा या अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा (एलओसी) का उल्लंघन नहीं है। भारत ने नियम के तहत ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया है।

‘‘हमने यह पाया है कि पिछले 70 सालों से राज्य में अनुच्छेद 370 के कारण कोई विकास नहीं हो सका। यही कारण है कि हमने यह फैसला लिया। हमने संविधान के तहत अस्थायी प्रावधान बनाया है। हमारा उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में अच्छी सरकार और सामाजिक न्याय व्यवस्था स्थापित करना है।’’

हाल ही में चीन दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी समकक्ष वांग यी से मुलाकात में जम्मू-कश्मीर पर लिए गए फैसले को आंतरिक मामला बताया। जयशंकर ने चीन में कहा कि अनुच्‍छेद-370 खत्‍म करने से पाकिस्तान और चीन से लगती हुई सीमा में कोई परिवर्तन नहीं आता। भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास के लिए यह कदम उठाया है। हमने किसी ने इलाके पर दावा नहीं किया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच बेहतर रिश्ते बने रहें, इसके लिए हमें हर प्रकार के मतभेदों का सही तरीके से प्रबंधन करना होगा।

ह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 खत्म करने का प्रस्ताव रखा था। इसके कुछ देर बाद ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अधिसूचना जारी कर दी। जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी।
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