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कश्मीर मुद्दे पर बैठक के बाद चीन चाहता था- सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष बयान दें; ज्यादातर सदस्यों ने मांग ठुकराई

जम्मू कश्मीर। कश्मीर मसले को लेकर सुरक्षा परिषद में हुई गुप्त बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और उसके सहयोगी चीन द्वार इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश नाकाम रही। सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बैठक के बाद चीन अगस्त महीने के सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पोलैंड द्वारा एक प्रेस बयान के लिए जोर दे रहा था। यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने भी चीन का समर्थन किया। हालांकि, बैठक के बाद पोलैंड की ओर से कोई बयान नहीं आया है।

इस बैठक में शामिल 15 सदस्यों ने सुरक्षा परिषद में साफतौर पर कहा कि कश्मीर नई दिल्ली और इस्लामाबाद का द्विपक्षीय मामला है। ज्यादातर सदस्यों ने कहा कि बैठक के बाद कोई बयान या परिणाम जारी नहीं किया जाना चाहिए। चीन ने अपनी राष्ट्रीय क्षमता के आधार पर बयान दिया। इसके बाद भारत ने कहा कि कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है। पाकिस्तान के पास संयुक्त राष्ट्र में इस मुद्दे को उठाए जाने का कोई आधार नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र में बीजिंग के राजदूत झांग जून और पाकिस्तानी राजदूत मालेहा लोधी ने बैठक से जुड़ी खबरों पर टिप्पणी की। हालांकि उन्होंने पत्रकारों के किसी सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। चीन और भारत के बयानों को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुदीन ने मीडिया से कहा कि वह नई दिल्ली की स्थिति को प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही परिषद के ज्यादातर सदस्यों ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे उन्हें खुद ही सुलझाना चाहिए। इस नतीजे के बाद पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के मकसद को झटका लगा है।

बैठक की कार्यवाही के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि यूएनएससी सदस्यों के चर्चा में भारत ने प्रत्येक सदस्यों के तर्कों को एक-एक कर काटा। भारत का दृष्टिकोण यह था कि शांति और सुरक्षा के लिए एक संवैधानिक मामला खतरा कैसे बन सकता है। जैसा कि पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद दावा किया था। एक संघीय व्यवस्था सीमा पार कैसे उलझन पैदा कर सकती है। भारत ने यह भी कहा कि वह कश्मीर के मुद्दे पर शिमला समझौते के लिए प्रतिबद्ध है। मानवाधिकारों के उल्लंघन मामले को लेकर भी पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी। चीन मानवाधिकारों के बारे में बात कर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि अगर पाकिस्तान को लगता है कि अनुच्छेद 370 एक भौतिक परिवर्तन है तो फिर चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) क्या है। सीपीईसी से उन्होंने भौतिक रूप से कितने परिवर्तन किए हैं? परिषद में अफ्रीकी देश कोटे डी आइवर और इक्वाटोरियल गिनी, डोमिनिकन गणराज्य के साथ ही जर्मनी, अमेरिकी, फ्रांस और रूस ने भारत का समर्थन दिया। संयुक्त राष्ट्र के एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि जब फ्रांस इस क्षेत्र की स्थिति पर पूरा ध्यान दे रहा था, इसकी प्राथमिकता भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता थी। अमेरिका और जर्मनी भी यहीं चाहते हैं।

रूस के प्रतिनिधि दिमित्री पॉलान्सकी ने बैठक से पहले संवाददाताओं से कहा कि मास्को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का पक्षधर है। इंडोनेशिया भी दोनों देशों के बीच बढ़ रहे तनाव पर चिंता जता चुका है। साथ ही दोनों देशों को बातचीत और कूटनीति की राह पर लौटने का आग्रह किया। ब्रिटेन सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि यूएनएससी में कश्मीर की स्थिति पर चर्चा हुई। हम बारिकी से स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। कश्मीर की घटनाओं की क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रासंगिकता हो सकती है। हम सभी से शांत और सावधानी बरतने की अपील करते हैं।

चीन के अनुरोध पर शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक घंटे बैठक हुई। हालांकि यह एक गुप्त बैठक थी। संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यों में से एक चीन के पास वीटो पावर है। यूएनएससी प्रक्रियाओं के मुताबिक, परिषद के सदस्य किसी भी विषय पर चर्चा के लिए बैठक बुला सकते हैं। वहीं, इस गुप्त बैठक का कोई रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाएगा।

गुप्त बैठक के लिए पाकिस्तान को कई मोर्चों पर झटके लगे हैं। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के पत्र के बाद इस मामले पर पाकिस्तान ने खुली बैठक की मांग की थी। लेकिन, सुरक्षा परिषद ने गुप्त बैठक की। पाकिस्तान ने यह भी मांग की थी कि बैठक में पाक सरकार के एक प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाए। लेकिन बैठक में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों ही शामिल हुए।

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