नई दिल्ली। अयोध्या भूमि विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को 5वें दिन सुनवाई हुई। इस दौरान रामलला विराजमान की ओर से वकील सीएस वैद्यनाथन ने दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी जन्मस्थान हिन्दुओं के लिए पूजनीय था। किसी स्थान के पूजनीय होने के लिए सिर्फ मूर्ति की जरूरत नहीं है। हम गंगा और गोवर्धन पर्वत का भी उदाहरण ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में रामलला के वकील से पूछा था- क्या श्रीराम का कोई वंशज अयोध्या या दुनिया में है?
वैद्यनाथन ने कहा कि सालों से हिंदू जन्मस्थान पर दर्शन के लिए आते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में लिखा है कि 1949 के बाद बाबरी मस्जिद में कभी नमाज अदा नहीं की गई। अयोध्या मामले में गवाह हाशिम अंसारी ने कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए वैसे ही पवित्र है जैसे कि मुसलमानों के मक्का है।
वैद्यनाथन ने कहा कि सालों से हिंदू जन्मस्थान पर दर्शन के लिए आते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में लिखा है कि 1949 के बाद बाबरी मस्जिद में कभी नमाज अदा नहीं की गई। अयोध्या मामले में गवाह हाशिम अंसारी ने कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए वैसे ही पवित्र है जैसे कि मुसलमानों के मक्का है।
अयोध्या मामले में अब तक क्या हुआ?मध्यस्थता पैनल द्वारा मामले का समाधान नहीं निकलने के बाद कोर्ट 6 अगस्त से सुनवाई कर रहा है। यह नियमित सुनवाई तब तक चलेगी, जब तक कोई नतीजा नहीं निकल जाता।
पहली सुनवाई: 6 अगस्त को सुनवाई के पहले दिन निर्मोही अखाड़ा ने पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अपना दावा किया। कहा था कि पूरी विवादित भूमि पर 1934 से ही मुसलमानों को प्रवेश की मनाही है।
दूसरी सुनवाई: 7 अगस्त को बेंच ने पक्षकार निर्मोही अखाड़े से संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के दस्तावेज पेश करने को कहा था। इस पर अखाड़े ने कहा था कि 1982 में वहां डकैती हुई, जिसमें सभी दस्तावेज खो गए।
तीसरी सुनवाई: 8 अगस्त को बेंच ने पूछा कि एक देवता के जन्मस्थल को न्याय पाने का इच्छुक कैसे माना जाए, जो इस केस में पक्षकार भी हो। इस पर वकील ने कहा कि हिंदू धर्म में किसी स्थान को पवित्र मानने और पूजा करने के लिए मूर्तियों की आवश्यकता नहीं है। नदियों और सूर्य की भी पूजा की जाती है और उनके उद्गम स्थलों को इसी तरह से देखा जाता है।
दूसरी सुनवाई: 7 अगस्त को बेंच ने पक्षकार निर्मोही अखाड़े से संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के दस्तावेज पेश करने को कहा था। इस पर अखाड़े ने कहा था कि 1982 में वहां डकैती हुई, जिसमें सभी दस्तावेज खो गए।
तीसरी सुनवाई: 8 अगस्त को बेंच ने पूछा कि एक देवता के जन्मस्थल को न्याय पाने का इच्छुक कैसे माना जाए, जो इस केस में पक्षकार भी हो। इस पर वकील ने कहा कि हिंदू धर्म में किसी स्थान को पवित्र मानने और पूजा करने के लिए मूर्तियों की आवश्यकता नहीं है। नदियों और सूर्य की भी पूजा की जाती है और उनके उद्गम स्थलों को इसी तरह से देखा जाता है।
चौथी सुनवाई: 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के वकील से पूछा था- क्या भगवान राम का कोई वंशज अयोध्या या दुनिया में है? इस पर वकील ने कहा था- हमें जानकारी नहीं है। बाद में जयपुर राजघराने की दीयाकुमारी ने खुद को श्री राम के बड़े बेटे कुश के वंशज होने का दावा किया था। मुस्लिम पक्ष ने हफ्ते में पांच दिन सुनवाई पर आपत्ति जताई थी।
मार्च में बनाया था मध्यस्थता पैनल
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था। इसमें पूर्व जस्टिस एफएम कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। हालांकि, पैनल मामले को सुलझाने के लिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका। इस पर सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से नियमित को तैयार हुआ था।
विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला विराजमान।