भोपाल। विधानसभा में गुरुवार को ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह बिजली मुद्दे पर खुद उलझ गए। सरकार द्वारा बिजली गुल होने का एक कारण चमगादड़ों को बताये जाने के मुद्दे और इसी विषय पर वित्त मंत्री तरुण भनोत की एक कथित टिप्पणी को लेकर जमकर हंगामा हुआ। उर्जा मंत्री ने एक प्रश्न के जवाब में बताया कि तीनों विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा मार्च-अप्रैल 2019 में कुल 225 अधिकारियों-कर्मचारियों को विभिन्न कारणों से निलंबित किया गया।
भोपाल के बटुए को मिलेगी अन्तरराष्ट्रीय पहचान, प्रदेश सरकार कराएगी मार्केटिंगप्रश्नकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने लोकसभा चुनाव के दौरान बिजली कटौती, लापरवाहियों के आरोप में कई बिजली कर्मचारियों के निलंबन और कई कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बारे में सरकार से जानकारी मांगी। विधायक ने कहा कि सरकार बिजली कटौती को लेकर असामाजिक तत्वों को जिम्मेदार ठहरा रही है। उन्होंने दावा किया कि पूर्व सरकार के दौरान बिजली नहीं जाती थी, क्या मात्र सात महीने में असामाजिक तत्व उत्पन्न हो गए। नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि सरकार ने ट्रिपिंग के लिए चमगादड़ों को जिम्मेदार बताया। भार्गव के इसी बयान के बीच मंत्री भनोत ने कथित तौर पर एक असंसदीय टिप्पणी कर दी। इस टिप्पणी पर पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक भूपेंद्र सिंंह ने आपत्ति उठाई। भाजपा के अन्य सदस्यों ने भी मंत्री द्वारा क्षमायाचना की मांग की। भारी शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कथित टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से विलोपित कर दिया। भाजपा विधायक के सवाल के जवाब में ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बताया कि पिछले 3-4 साल से बिजली मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति हो रही थी और खरीदे गए उपकरणों की गुणवत्ता ठीक नहीं होने के कारण व्यवस्थाएं बिगड़ी हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने छेड़छाड़ संबंधित 18 प्रकरणों में से पांच में प्राथमिकी दर्ज करवाई है। एक पूरक सवाल के जवाब में उर्जा मंत्री ने कहा कि बिजली कंपनियां चार तरीकों से अकुशल, अर्धकुशल, कुुशल और उच्च कुशल श्रेणी में कर्मचारियों को आउटसोर्स करती है। अब से आईटीआई प्रशिक्षित लोगों को ही लाइनवर्क में लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि ट्रिपिंग अब ज्यादा नहीं है और चमगादड़ों की समस्या पूरे मध्यप्रदेश की न होकर सिर्फ उत्तर भोपाल में तालाब किनारे की है। वहां इंसुलेशन के आदेश दे दिए गए हैं। इसी मुद्दे को लेकर वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा के दौरान पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सरकार बिजली कटौती के मुद्दे पर भाजपा कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराते हुए अपनी जिम्मेदारियों से भाग रही है। उन्होंने इस दौरान बिजली कटौती पर सरकार के जवाब को लेकर जमकर कटाक्ष किए। सदन में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बिजली का मामला उठाते हुए जानना चाहा कि क्या सरकार वचनपत्र के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए बिजली मुहैया करा पा रही है। ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि इस मामले में परीक्षण कराया जा रहा है और प्रयोग के तौर पर पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी बालाघाट में 10 घंटे थ्री फेस बिजली मुहैया करा रही है। इसके अलावा मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी हरदा और होशंगाबाद जिलों में इस तरह का प्रयोग कर रही है। भाजपा विधायक भूपेंद्र सिंह ने उर्जा मंत्री की बात का ही जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने वचनपत्र में 12 घंटे बिजली मुहैया कराने की बात कही है, छह माह में भी इस पर अमल नहीं हो पाया है। बजट में भी सरकार ने दस घंटे बिजली मुहैया कराने की बात कही है। इस पर उर्जा मंत्री ने कहा कि सरकार वचनपत्र के अनुरूप बिजली मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में पहले भी कदम उठाए गए हैं और शीघ्र ही निर्णय लिया जाएगा। इस पर भाजपा के अनेक सदस्य एक साथ बोलने लगे। जिसका सत्तारुढ़ दल कांग्रेस के सदस्यों ने भी जवाब दिया और वे भी जोर-जोर से बोलने लगे। इस दौरान दोनों ओर के सदस्यों के बीच नोंकझोंक भी देखने को मिली। भाजपा सदस्यों की आपत्ति पर अध्यक्ष ने कहा कि वरिष्ठ सदस्यों को हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। इस बीच ऊर्जा मंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार की नीतियों के कारण बिजली विभाग की खस्ताहाल विरासत में मिली है। पंद्रहवें वित्त आयोग ने भी कहा है कि पारेषण एवं वितरण हानियां 36 प्रतिशत हैं, जो काफी ज्यादा हैं। इन सबको सुधारने का कार्य सरकार कर रही है। इस बात को लेकर फिर दोनों पक्षों में तीखी नोंकझोंक हुयी।