भोपाल :
दस्तक अभियान की बदौलत बैतूल जिले के साईखंडारा गाँव के आदिवासी दम्पत्ति अनिल-रामकली की 14 माह की मासूम बच्ची को नई जिंदगी मिली है। बच्ची की माँ को गर्भावस्था के समय वजन बहुत कम होने से उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा गया था। माँ की कमजोरी के कारण बच्ची संध्या का वजन भी बहुत कम था।
मासूम संध्या को दिसम्बर 2018 में जिला पोषण-पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया गया। मात्र 14 दिन में संध्या के वजन में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई, तो उसे पुनर्वास केन्द्र से छुट्टी दिलाकर घर भेज दिया गया। घर पर भी आशा कार्यकर्ता नियमित रूप से 4 फॉलोअप विजिट
करती रही।
दस्तक अभियान में बच्ची की एएनएम और आशा कार्यकर्ता ने जाँच की तथा आवश्यक स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध कराई। मासूम संध्या का हीमोग्लोबिन बहुत कम होने से उसे रक्ताधान कराया गया।
अब यह बेटी स्वस्थ है। परिजन बच्ची के स्वास्थ्य की चिंता से मुक्त हो गये हैं। वे दस्तक अभियान से मिली चिकित्सा सेवाओं से खुश हैं।
दस्तक अभियान की बदौलत बैतूल जिले के साईखंडारा गाँव के आदिवासी दम्पत्ति अनिल-रामकली की 14 माह की मासूम बच्ची को नई जिंदगी मिली है। बच्ची की माँ को गर्भावस्था के समय वजन बहुत कम होने से उच्च जोखिम की श्रेणी में रखा गया था। माँ की कमजोरी के कारण बच्ची संध्या का वजन भी बहुत कम था।
मासूम संध्या को दिसम्बर 2018 में जिला पोषण-पुनर्वास केन्द्र में भर्ती किया गया। मात्र 14 दिन में संध्या के वजन में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई, तो उसे पुनर्वास केन्द्र से छुट्टी दिलाकर घर भेज दिया गया। घर पर भी आशा कार्यकर्ता नियमित रूप से 4 फॉलोअप विजिट
करती रही।
दस्तक अभियान में बच्ची की एएनएम और आशा कार्यकर्ता ने जाँच की तथा आवश्यक स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध कराई। मासूम संध्या का हीमोग्लोबिन बहुत कम होने से उसे रक्ताधान कराया गया।
अब यह बेटी स्वस्थ है। परिजन बच्ची के स्वास्थ्य की चिंता से मुक्त हो गये हैं। वे दस्तक अभियान से मिली चिकित्सा सेवाओं से खुश हैं।