भोपाल.
शहडोल से सांसद रहे ज्ञान सिंह के पक्ष में सड़कों पर उतरे लोगों ने जमकर नारेबाजी करते हुए कहा कि ‘हम ज्ञान सिंह के साथ हैं, पार्टी फिर से करे विचार, नहीं तो हारेगी हिमाद्री सिंह, बाहरी प्रत्याशी नहीं है स्वीकार।’
सोमवार को उमरिया जिला मुख्यालय स्थित स्टेशन राम लीला मैदान में सैकड़ों की तादाद में दूर-दूर से दो पहिया, ट्रैक्टर और अन्य साधनों से आये भाजपा कार्यकर्ता बगावत पर उतर आए। खुलकर नारेबाजी की और कहा कि हमको बाहरी प्रत्याशी स्वीकार नहीं है, जिसके पिता को दो बार ज्ञान सिंह हराए और 1 बार उसको भी पटकनी दिए हैं, जो कल तक कांग्रेस का चेहरा रही और आज अचानक भाजपा में आते ही पार्टी शहडोल संसदीय क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव लड़ा रही है। इसको हम स्वीकार नहीं कर सकते हैं हमको हमारा नेता ज्ञान सिंह ही चाहिए नहीं तो बहुत वोटों से भाजपा हारेगी। हम सब ज्ञान सिंह के साथ हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ा कर जिताएंगे।
पैराशूट महिला प्रत्याशी नहीं चलेगी
भाजपा कार्यकर्ता कृष्णपाल सिंह, रमेश सोनी, केके सिंह और रवि विश्वकर्मा ने कहा कि, जो व्यक्ति 1977 से पार्टी के लिए काम करता आया है और विषम परिस्थितियों में भी पार्टी के साथ खड़ा रहा, उनको कहा गया कि आप जाइए अपना काम कीजिए। 19 मार्च को उनको भेजा जाता है और 21 मार्च को कांग्रेस से आई हिमाद्री सिंह को पार्टी टिकट दे देती है। संगठन का यह निर्णय बहुत गलत है, इसके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडेंगे।
1977 से लगातार जीत
भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता ज्ञान सिंह 1977 से लगातार चुनाव जीतते चले आ रहे हैं। प्रदेश में या देश में किसी की सरकार रही हो ज्ञान सिंह की सियासी सेहत पर कोई फर्क नहीं पडा, वो हमेशा ही पार्टी की सीट को जीत कर सुरक्षित रखने में कामयाब रहे।
शहडोल से सांसद रहे ज्ञान सिंह के पक्ष में सड़कों पर उतरे लोगों ने जमकर नारेबाजी करते हुए कहा कि ‘हम ज्ञान सिंह के साथ हैं, पार्टी फिर से करे विचार, नहीं तो हारेगी हिमाद्री सिंह, बाहरी प्रत्याशी नहीं है स्वीकार।’
सोमवार को उमरिया जिला मुख्यालय स्थित स्टेशन राम लीला मैदान में सैकड़ों की तादाद में दूर-दूर से दो पहिया, ट्रैक्टर और अन्य साधनों से आये भाजपा कार्यकर्ता बगावत पर उतर आए। खुलकर नारेबाजी की और कहा कि हमको बाहरी प्रत्याशी स्वीकार नहीं है, जिसके पिता को दो बार ज्ञान सिंह हराए और 1 बार उसको भी पटकनी दिए हैं, जो कल तक कांग्रेस का चेहरा रही और आज अचानक भाजपा में आते ही पार्टी शहडोल संसदीय क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव लड़ा रही है। इसको हम स्वीकार नहीं कर सकते हैं हमको हमारा नेता ज्ञान सिंह ही चाहिए नहीं तो बहुत वोटों से भाजपा हारेगी। हम सब ज्ञान सिंह के साथ हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ा कर जिताएंगे।
हिमाद्री को बाहरी बताते सड़कों पर ज्ञान सिंह समर्थक |
भाजपा कार्यकर्ता कृष्णपाल सिंह, रमेश सोनी, केके सिंह और रवि विश्वकर्मा ने कहा कि, जो व्यक्ति 1977 से पार्टी के लिए काम करता आया है और विषम परिस्थितियों में भी पार्टी के साथ खड़ा रहा, उनको कहा गया कि आप जाइए अपना काम कीजिए। 19 मार्च को उनको भेजा जाता है और 21 मार्च को कांग्रेस से आई हिमाद्री सिंह को पार्टी टिकट दे देती है। संगठन का यह निर्णय बहुत गलत है, इसके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडेंगे।
1977 से लगातार जीत
भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता ज्ञान सिंह 1977 से लगातार चुनाव जीतते चले आ रहे हैं। प्रदेश में या देश में किसी की सरकार रही हो ज्ञान सिंह की सियासी सेहत पर कोई फर्क नहीं पडा, वो हमेशा ही पार्टी की सीट को जीत कर सुरक्षित रखने में कामयाब रहे।