रविवार को रवींद्र भवन में पद्म विभूषण स्वर्गीय गिरिजा देवी की स्मृति में द लीजेंड्स म्यूजिकल नाइट का आयोजन किया गया जिसमें बॉलीवुड सिंगर जावेद अली, क्लासिकल सिंगर सुनंदा शर्मा, शास्त्रीय गायक राशिद खान ने गानों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की सबसे सुरीली प्रस्तुति रही राशिद खान और जावेद अली की जुगलबंदी में, आओगे जब तुम औ साजना... सुनाया। काफी देर तक तालियां बजती रहीं।
बाद में कार्यक्रम में सिंगर जावेद अली ने कुन फाया कुन..., है गुजारिश..., जैसे कई सुपरहिट गानों की प्रस्तुति से श्रोताओं को बांधे रखा। इसके बाद उन्होंने कहने को जश्न-ए-बहारा है...,एक दिन तेरी राहों में..., गानों को भी सुनाया।
जावेद अली ने आखिर में देशभक्ति गीत ऐ वतन... ऐ वतन हमको तेरी कसम, तेरी राहों में जां तक लुटा जाएंगे। रविंद्र भवन के मुक्ताकाशी मंच पर लोगों ने पूरे गाने में खड़े होकर गुनगुनाते रहे और तिरंगा लहराते रहे। इसके बाद उन्होंने जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, वो भारत देश है मेरा... देशभक्ति गीत सुनाया। लोगों ने खड़े होकर देशभक्ति के नारे लगाए।
इसके पहले सुनंदा शर्मा ने मंच पर राग देश में मेरा सैयां बुलावे आधी रात..., नदिया बैरी भई...,गीतों की प्रस्तुति दी। वहीं होली के माहौल को देखते हुए राग मिश्र काफी में होली गीत देखो लला मोरी अखियन खटकी कौउनी तरह से तुम खेलत होरी..., को सुनाया। श्रोताओं की डिमांड पर गायिका सुनंदा शर्मा ने रंग डारूंगी, डारूंगी नंद के लालन..., को सुनाया। इसके बाद उस्ताद राशिद खान ने क्या जादू डाला श्याम..., और गिटार में फ्यूजन पर झीनी रे मोरा..., गाने को सुनाया।
इधर, राशिद बोले- आओगे जब गाने को प्रीतम ने नही संदेश ने कंपोज किया था
पहले तो मेरा गाना गाने करने का इरादा नही था लेकिन संदेश कलकत्ता आए और उन्होंने कहा कि खान साहब यह गाना गाना है। मैं घर मैं बैठा और उसे मार्गदर्शित किया और उसने उस गाने को अच्छा कंपोज किया, लेकिन लोग जानते हैं कि उस गाने को म्यूजिक कंपोजर प्रीतम ने कंपोज किया लेकिन उस गाने का म्यूजिक कंपोज संदेश शांडिल्य ने किया है जिसने उस गाने को बनाया उसके नाम पर ही नही पेश किया गया। पूरी फिल्म में प्रीतम ने गाना कंपोज किया था शादी के चलते एक गाना संदेश को देकर चले गए थे। लेकिन फिर भी वह गाना उन्हीं के नाम से जाना जाता है। इसलिए जिसकी जो चीज है उसी के नाम से जाना जानी चाहिए।
पहले तो मेरा गाना गाने करने का इरादा नही था लेकिन संदेश कलकत्ता आए और उन्होंने कहा कि खान साहब यह गाना गाना है। मैं घर मैं बैठा और उसे मार्गदर्शित किया और उसने उस गाने को अच्छा कंपोज किया, लेकिन लोग जानते हैं कि उस गाने को म्यूजिक कंपोजर प्रीतम ने कंपोज किया लेकिन उस गाने का म्यूजिक कंपोज संदेश शांडिल्य ने किया है जिसने उस गाने को बनाया उसके नाम पर ही नही पेश किया गया। पूरी फिल्म में प्रीतम ने गाना कंपोज किया था शादी के चलते एक गाना संदेश को देकर चले गए थे। लेकिन फिर भी वह गाना उन्हीं के नाम से जाना जाता है। इसलिए जिसकी जो चीज है उसी के नाम से जाना जानी चाहिए।