भोपाल.
सूबे की मंडियों में 50 किलो के बजाय 100 किलो वजन उठवाने के खिलाफ सुबह से शुरु हुई हड़ताल शाम को लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू हो जाने के कारण खत्म हो गई। मंडी प्रशासन की मध्यस्थता में व्यापारियों और हम्मालों के बीच हुई वार्ता के बाद तय किया गया कि लोकसभा चुनाव के बाद आचार संहिता खत्म होने पर फिर से इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में वार्ता होकर समाधान निकाला जाएगा।
50 किलो के बजाय 100 किलो वजन उठवाने के विरोध में काम बंद किया था हम्मालों ने
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध हम्माल एवं गाड़ीवान श्रमिक संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष आबिद अली की अगुवाई में सोमवार सुबह से हम्मालों ने काम बंद करके नारेबाजी शुरु कर दी। हम्मालों का कहना था कि मंडी बोर्ड के दर्जनों बार आदेश जारी करने के बाद भी मंडियों में हम्मालों से 50 किलों के बजाय दबाव ड़ालकर एक क्विंटल या उससे भी ज्यादा वजन के बोरे उठवाए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर हम्मालों का कहना था कि मार्च-अप्रैल 2018 में ही मंडी बोर्ड की ओर से प्रदेशभर की मंडियों के सचिवों को स्पष्ट निर्देश जारी हो चुके हैं कि 50 किलो वजन की सीमा रेखा का पालन किया जाए, जिसके पालन में कुछ मंडियों में यह नियम लागू भी हो चुका है। बावजूद भोपाल, देवास जैसी कुछ मंडियों में व्यापारियों से मंडी सचिवों की मिलीभगत के चलते प्रबंध संचालक के आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। अब तो व्यापारियों की जुबान मंडी सचिव भी बोलने लगे हैं और एमडी के निर्देशों पर ही अंगुली उठाने लगे हैं।
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देखूंगा एमडी के निर्देश
मैं तो नया आया हूं तो एमडी के निर्देशों का पता नहीं होने से देखूंगा कि क्या हैं? वैसे भी यह मुद्दा तो चेंबर आॅफ कॉमर्स, इंडस्ट्री, लेबर और व्यापारी संगठन ही तय करेंगे कि क्या होना चाहिए?
प्रदीप कुमार मलिक, सचिव, करोद कृषि मंडी
सालभर से टाल मटोल
मंडी बोर्ड के एमडी के आदेश का सालभर बाद भी पालन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि सचिव टाल-मटोल करते हैं। एमडी को ही सीधे जवाब क्यों नहीं देते कि उनका आदेश पालन नहीं करेंगे।
आबिद अली, उपाध्यक्ष, हम्माल एवं गाड़ीवान श्रमिक संगठन
लागू करना जरुरी नहीं
लेबर मिनिस्ट्री की रिकमंडेशन को लागू करना जरुरी नहीं है। वैसे भी 50 या 100 किलो की भरती तो बायर कंपनियों के हिसाब से ही तय होगी तो 50 किलो की सीमा कैसे तय कर सकते हैं?
हरीश ज्ञानचंदानी, अध्यक्ष, भोपाल ग्रेन एंड आइल सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन
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इसलिए 100 किलो पर लगी रोक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और श्रम मंत्रालय ने हम्मालों की स्थिति का अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि एक क्विंटल या उससे ज्यादा वजन उठाने पर रीढ़ की हड़डी पर घातक प्रभाव पड़ता है। वहीं घुटनों और कमर में स्थायी तौर पर विकृति आ जाती है, इससे बुढ़ापे में उठना-बैठना तक मुहाल हो जाता है। इसके बाद ही हम्मालों से एक बार में 50 किलो से ज्यादा वजन नहीं उठवाने के निर्देश जारी हुए हैं।
सूबे की मंडियों में 50 किलो के बजाय 100 किलो वजन उठवाने के खिलाफ सुबह से शुरु हुई हड़ताल शाम को लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आचार संहिता लागू हो जाने के कारण खत्म हो गई। मंडी प्रशासन की मध्यस्थता में व्यापारियों और हम्मालों के बीच हुई वार्ता के बाद तय किया गया कि लोकसभा चुनाव के बाद आचार संहिता खत्म होने पर फिर से इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में वार्ता होकर समाधान निकाला जाएगा।
50 किलो के बजाय 100 किलो वजन उठवाने के विरोध में काम बंद किया था हम्मालों ने
भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध हम्माल एवं गाड़ीवान श्रमिक संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष आबिद अली की अगुवाई में सोमवार सुबह से हम्मालों ने काम बंद करके नारेबाजी शुरु कर दी। हम्मालों का कहना था कि मंडी बोर्ड के दर्जनों बार आदेश जारी करने के बाद भी मंडियों में हम्मालों से 50 किलों के बजाय दबाव ड़ालकर एक क्विंटल या उससे भी ज्यादा वजन के बोरे उठवाए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर हम्मालों का कहना था कि मार्च-अप्रैल 2018 में ही मंडी बोर्ड की ओर से प्रदेशभर की मंडियों के सचिवों को स्पष्ट निर्देश जारी हो चुके हैं कि 50 किलो वजन की सीमा रेखा का पालन किया जाए, जिसके पालन में कुछ मंडियों में यह नियम लागू भी हो चुका है। बावजूद भोपाल, देवास जैसी कुछ मंडियों में व्यापारियों से मंडी सचिवों की मिलीभगत के चलते प्रबंध संचालक के आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। अब तो व्यापारियों की जुबान मंडी सचिव भी बोलने लगे हैं और एमडी के निर्देशों पर ही अंगुली उठाने लगे हैं।
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देखूंगा एमडी के निर्देश
मैं तो नया आया हूं तो एमडी के निर्देशों का पता नहीं होने से देखूंगा कि क्या हैं? वैसे भी यह मुद्दा तो चेंबर आॅफ कॉमर्स, इंडस्ट्री, लेबर और व्यापारी संगठन ही तय करेंगे कि क्या होना चाहिए?
प्रदीप कुमार मलिक, सचिव, करोद कृषि मंडी
सालभर से टाल मटोल
मंडी बोर्ड के एमडी के आदेश का सालभर बाद भी पालन नहीं हो पा रहा है, क्योंकि सचिव टाल-मटोल करते हैं। एमडी को ही सीधे जवाब क्यों नहीं देते कि उनका आदेश पालन नहीं करेंगे।
आबिद अली, उपाध्यक्ष, हम्माल एवं गाड़ीवान श्रमिक संगठन
लागू करना जरुरी नहीं
लेबर मिनिस्ट्री की रिकमंडेशन को लागू करना जरुरी नहीं है। वैसे भी 50 या 100 किलो की भरती तो बायर कंपनियों के हिसाब से ही तय होगी तो 50 किलो की सीमा कैसे तय कर सकते हैं?
हरीश ज्ञानचंदानी, अध्यक्ष, भोपाल ग्रेन एंड आइल सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन
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इसलिए 100 किलो पर लगी रोक
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और श्रम मंत्रालय ने हम्मालों की स्थिति का अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि एक क्विंटल या उससे ज्यादा वजन उठाने पर रीढ़ की हड़डी पर घातक प्रभाव पड़ता है। वहीं घुटनों और कमर में स्थायी तौर पर विकृति आ जाती है, इससे बुढ़ापे में उठना-बैठना तक मुहाल हो जाता है। इसके बाद ही हम्मालों से एक बार में 50 किलो से ज्यादा वजन नहीं उठवाने के निर्देश जारी हुए हैं।